अखिलेश यादव और जयंत चौधरी का सीटों पर चुप्पी से बढ़ा रालोद-सपा नेताओं का बीपी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में पहली बार गठबंधन के साथ मैदान में उतर रहे सपा-रालोद हाइकमान की सीटों पर चुप्पी से नेताओं का बीपी बढ़ने लगा है। गठबंधन की घोषणा का समय बीतने के बावजूद अभी तक सीटों पर प्रदेशभर में तस्वीर साफ नहीं है। दोनों ही पार्टियों के नेता अपने-अपने क्षेत्र में दावेदारों की तरह चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन सीट बंटवारे के बाद खुद लड़ेंगे या दूसरों को लड़ाएंगे, इसकी चिंता से परेशान हैं। नेताओं की निगाह पार्टी हाइकमान की सीट बंटवारे पर लगी हैं। सीटों पर निर्णय नहीं होने तक नेताओं में असमंजस की स्थिति बनी रहेगी।

वर्ष 2022 में प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों पर फरवरी-मार्च में मतदान संभावित है। चुनावों में जीत को रालोद-सपा इस बार एक नाव में सवार हैं। रालोद के प्रभाव के हिसाब से मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल की 73 सीटें बेहद महत्वपूर्ण हैं। सपा का फोकस वेस्ट यूपी पर है।

दिसंबर में परिवर्तन संदेश रैली में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव वेस्ट यूपी में इस बार भाजपा का सूर्य सदा के लिए डूबने की बात कह चुके हैं। सपा का सपना इन 73 सीटों को जीतते हुए भाजपा को शिकस्त देने का है। गठबंधन के बाद स्थानीय स्तर पर अभी सपा और रालोद दोनों ही पार्टियों के दावेदार चुनावी तैयारी में जुटे हैं, लेकिन जब तक सीट स्पष्ट नहीं होती, तब तक प्रत्याशी खुलकर मतदाता और समर्थकों से बात करने की स्थिति में नहीं हैं।

गठबंधन को लेकर सब कुछ सही होने की स्थिति के बावजूद सीटों पर निर्णय नहीं हो पाना दावेदारों के पसीने छुड़ाए हुए है। दावेदारों को डर है कि जिस सीट पर वे खुद प्रत्याशी बनने को जुटे हैं, वह सीट सहयोगी पार्टी के खाते में चली गई तो उनका क्या होगा?

बह जाएंगे अरमान, उम्र गुजर जाएगी

दोनों ही पार्टी से ऐसे कई दावेदार मैदान में हैं, जिनकी उम्र गुजरने को है। वे इस बार टिकट मिलने की पूरी उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन गठबंधन की गांठ से टिकट सहयोगी पार्टी के खाते में चला गया तो सारे अरमान बह जाएंगे।

सीटों को लेकर कोई टेंशन नहीं

राजपाल सिंह, जिलाध्यक्ष, सपा कहते हैं कि सीटों को लेकर गठबंधन में कोई टेंशन नहीं है। दोनों पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष कह चुके हैं कि सभी सहमति हो गई है। घोषणा भी हो जाएगी।  मतलूब गौड़, जिलाध्यक्ष, रालोद ने बताया कि सपा और रालोद के बीच गठबंधन हो चुका है। सीटों को लेकर दोनों पार्टियों में नेतृत्व स्तर पर सहमति हो चुकी है। कोई विवाद या टेंशन जैसी बात नहीं है। सही समय पर घोषणा हो जाएगी।

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