नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग विवाद को लेकर जांच के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एएम सप्रे की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। वहीं, शेयर बाजार को रेग्युलेट करने वाली संस्था सेबी को भी जांच की स्टेटस रिपोर्ट बताने को कहा गया है। यह रिपोर्ट सेबी को दो महीने के भीतर सीलबंद लिफाफे में देनी होगी। आपको बता दें कि अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग द्वारा अडानी ग्रुप पर शेयरों की कीमत में हेरफेर और शेल कंपनियों के गठन समेत कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। सेबी इन आरोपों की जांच कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल में सेवानिवृत्त न्यायाधीश एएम सप्रे के अलावा ओपी भट्ट, जेपी देवधर, केवी कामथ, नंदन नीलेकणी और एडवोकेट सोमशेखर सुंदरेसन भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल अडानी-हिंडनबर्ग विवाद के कारणों और बाजार पर असर की जांच करेगा। इसके साथ ही निवेशकों की जागरूकता को मजबूत करने के उपायों का सुझाव देना। पैनल इस पहलू पर भी ध्यान देगा कि क्या इस प्रकरण में कोई नियामक विफलता थी। यह पैनल निवेशकों की सुरक्षा के लिए वैधानिक और नियामक ढांचे को मजबूत करने के उपाय भी सुझाएगा। इसके अलावा मौजूदा ढांचे की कमियों पर भी गौर करेगा।
दरअसल, अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद शेयर बाजार अस्थिरता के माहौल से गुजर रहा है। इस रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार के निवेशकों को कई लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इसी प्रकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 4 अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं। ये 4 याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और मुकेश कुमार हैं।