नई दिल्ली. बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार गठित हो गई है लेकिन यह सरकार जिस सियासी संग्राम के बाद बनी है उसकी वजह से विपक्ष से जुड़ी हर पार्टी को अपने विधायकों को लेकर यह आशंका पैदा हो गई है कि वह उन्हीं के पास बने रहेंगे या नहीं.
बिहार में चुनावी उलटफेर में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का बड़ा योगदान माना जा रहा है. यह माना जा रहा है कि अगर सीमांचल से असदुद्दीन ओवैसी ने 20 उम्मीदवार न उतारे होते तो महागठबन्धन की सरकार बनने से कोई रोक नहीं सकता था.
एक तरफ ओवैसी पर महागठबंधन का यह संगीन आरोप है तो दूसरी तरफ एआईएमआईएम को यह डर सता रहा है कि कि कहीं उसके विधायकों को ही न तोड़ लिया जाए. यही वजह है कि अपने विधायकों की सुरक्षा के लिए ओवैसी ने उन्हें हैदराबाद बुला लिया है.
सूत्रों का कहना है कि एआईएमआईएम अपने विधायकों के मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है. बिहार में चुनाव जीतने वाले ओवैसी के पाँचों विधायक हैदराबाद पहुँच गए हैं. हैदराबाद में इन विधायकों से अकबरुद्दीन ओवैसी ने मुलाक़ात की और कहा कि पार्टी दूसरे राज्यों में भी अपनी पकड़ मज़बूत करेगी और वहां भी अच्छा प्रदर्शन करेगी.
असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में अच्छे प्रदर्शन के बाद बंगाल में भी अपने प्रत्याशी उतारने का एलान किया है. बिहार के जनादेश के बाद जिस तरह का सियासी संग्राम बिहार में छिड़ा हुआ है उससे दूसरी पार्टियों की तरह से ओवैसी भी आशंकित हैं कि उने विधायक अगर बिहार में रहेंगे तो उन्हें भी तोड़ा जा सकता है.