अपने स्टाफ को वेतन देने के लिए निजी स्कूलों ने प्रदेश सरकार से लगाई मार्मिक गुहार

लखनऊ। लाॅकडाउन के दौरान अभिभावकों को फीस के लिए बाध्य नहीं करने और परिवहन शुल्क नहीं वसूलने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के बाद निजी स्कूलों ने स्टाफ के वेतन भुगतान के लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
निजी स्कूलों के संगठन एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्ज के अध्यक्ष अतुल कुमार ने शुक्रवार को कहा, निजी स्कूलों को केवल मासिक फीस लेने और फीस जमा नहीं होने की स्थिति में किसी बच्चे को ऑनलाइन क्लासेज से वंचित नहीं करने के आदेश से निजी स्कूल पसोपेश में हैं, क्योंकि सरकार के फैसले के बाद ज्यादातर अभिभावक फीस देने में आनाकानी कर रहे हैं। इस तरह के आदेश से निजी स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का भुगतान किया जाना संभव नहीं होगा।

बुनियादी सुविधाएं देना मुश्किल
उन्होंने कहा कि इस आदेश के कारण अधिकतर अभिभावकों ने विद्यालय में फीस जमा नहीं की है। जो फीस आई भी है, वे इतनी कम हैं कि उससे शिक्षकों को वेतन देना तो दूर रहा, उससे स्कूल के संचालन के लिए जरूरी बुनियादी सुविधाएं भी प्राप्त नहीं की जा सकती हैं। निजी विद्यालयों के आय का एकमात्र साधन फीस ही है, जिसके प्राप्त नहीं होने पर निजी विद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन भुगतान नहीं किया जा सकता है। इसके चलते प्रदेश के एक बहुत बड़े शिक्षक समुदाय के परिवारों को भुखमरी का सामना तक करना पड़ सकता है।

राज्य सरकार बगैर ब्याज के भी दे सकती है राशि
कुमार ने बताया कि लाॅकडाउन अवधि की ट्रांसपोर्ट फीस लेने पर भी सरकार द्वारा रोक लगाई गई है, जो न्यायसंगत नहीं है। वास्तव में लाॅकडाउन की अवधि में केवल ईंधन के रूप में खर्च की जाने वाली धनराशि की ही बचत हो रही है, जो फीस की लगभग 20 से 25 प्रतिशत ही होती है। ऐसे में अगर लाॅकडाउन अवधि का पूरा ट्रांसपोर्ट फीस माफ कर दिया गया तो स्कूल के ड्राइवरों और सहायकों का भुगतान कैसे किया जाएगा। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के फीस लेने के सम्बन्ध में सरकार द्वारा जारी आदेश उत्तरप्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) एक्ट 2018 में दिए गए प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। वास्तव में कोई भी कार्यकारी आदेश अधिनियम में दिए गए प्रावधानों के अन्तर्गत ही जारी किया जा सकता है। वस्तुतः राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम में भी स्कूल फीस का कहीं उल्लेख नहीं है। कुमार ने कहा कि निजी स्कूलों की मांग है कि आपदा की इस घड़ी में अध्यापकों और अन्य स्कूल स्टाफ के वेतन भुगतान का इंतजाम सरकार अपनी ओर से करे। वह चाहे तो इस राशि को ऋण के रूप में दे सकती है जिसका भुगतान सामान्य परिस्थितियों मे बगैर ब्याज अदायगी के किया जा सकता है। उन्हें उम्मीद है कि संकट की इस घड़ी में सरकार निजी स्कूलों के साथ भी न्याय करेगी।

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