प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुकदमों की लाइव स्ट्रीमिंग के अपने ऐतिहासिक फैसले पर अमल शुरू कर दिया है। हाईकोर्ट ने पहली बार अपनी वेबसाइट पर लाइव स्ट्रीमिंग का लिंक शेयर किया है। उच्च न्यायालय की इस पहल को पारदर्शिता, मीडिया की आजादी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस पहल पर अमल होने के बाद आमजन भी अपने घर बैठकर मुकदमों की सुनवाई लाइव देख सकेंगे।
जित्सी मीट ऐप पर शुरू हुआ ट्रायल
हाईकोर्ट ने लाइव स्ट्रीमिंग का ट्रायल शुरू करते हुए अपनी वेबसाइट पर पहली बार लिंक शेयर किया था। हालांकि कुछ तकनीकी कारणों से पहली बार सफलता नहीं मिल पाई और लाइव स्ट्रीमिंग को रोकना पड़ा। हाईकोर्ट प्रशासन ने जित्सी मीट ऐप के माध्यम से यह पहल की है। हालांकि हाईकोर्ट प्रशासन अन्य वीडियो कांफ्रेंसिंग एप पर भी ट्रायल कर रहा है। जो बेहतर होगा उस पर लाइव सुनवाई होगी।
कोर्ट ने कहा- पत्रकारों को कौन रोक रहा है?
पत्रकारों की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने कहा कि मीडिया के अधिकारों पर कोई विवाद नहीं है। इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने उत्तर प्रदेश की सभी अदालतों व न्यायाधिकरणों में मुकदमों के लाइव प्रसारण व उनकी लाइव रिपोर्टिंग की मांग वाली पत्रकारों की याचिका को गंभीरता से लेते हुए ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान सुनवाई की मंजूरी दी थी। दो विधि पत्रकारों ने अधिवक्ता शाश्वत आनंद के माध्यम से यह याचिका दायर की थी।
वीडियो कांफ्रेंसिंग लिंक को साझा करने की हुई थी मांग
याचिका में कहा गया है कि, “न्याय की अवधारणा अपने सही अर्थों में भारतीय न्यायपालिका के मामलों में पूर्ण पारदर्शिता (कुछ असाधारण मामलों को छोड़कर) के माहौल में ही महसूस की जाएगी”। याचिका में अदालत परिसर के भीतर मीडिया कक्षों की स्थापना और पत्रकारों के साथ अदालतों की विडियो कान्फ्रेंसिंग के द्वारा की जाने वाली कार्यवाहियों का लिंक साझा करने की भी मांग की गई है।
हाईकोर्ट प्रशासन लाइव स्ट्रीमिंग को अंतिम रूप देने में लगा
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की ओर से अधिवक्ता आशीष मिश्रा ने यह आश्वासन दिया कि मुकदमों के सीधे प्रसारण के मामले पर कोर्ट प्रशासन सक्रिय रूप से काम कर रहा है। मिश्रा ने बेंच को यह भी बताया कि लाइव स्ट्रीमिंग के लिए सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी के चेयरमैन की ओर से कुछ दिन पहले हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास गाइडलाइन भी भेजी गई है और सुझाव मांगे गए हैं। ऐसे में मिश्रा की ओर से मामले को प्रशासनिक स्तर पर अंतिम रूप देने के लिए सुनवाई कुछ हफ्तों के लिए स्थगित करने की मांग की गई।
लाइव रिपोर्टिंग पत्रकारों का मौलिक अधिकार
पत्रकारों की ओर से अधिवक्ता शाश्वत आनंद ने यह तर्क दिया कि कोर्ट प्रशासन लाइव स्ट्रीमिंग के पहलू पर काम कर रहा है, लेकिन याचिकाकर्ताओं की प्राथमिक चिंता लाइव रिपोर्टिंग की है। आनंद ने यह आग्रह किया कि लाइव रिपोर्टिंग की अनुमति दी जानी चाहिए।
इस संबंध में आनंद नें सर्वोच्च न्यायालय के स्वप्निल त्रिपाठी व अन्य बनाम भारत संघ (2018) व चीफ इलेक्शन कमिश्नर बनाम एम.आर. विजयभास्कर (2021) व अन्य फैसलों का हवाला देते हुए यह दलील दी कि न्यायालय एक सार्वजनिक संस्था है।
अदालतों की कार्यवाहियों को देखना व उनकी लाइव रिपोर्टिंग करना पत्रकारों का मौलिक अधिकार है जो संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 में प्रत्याभूत है। अधिवक्ता आनंद ने अदालत से यह अंतरिम आदेश देने का आग्रह किया कि ऐसे में अदालत की कार्यवाही की लाइव रिपोर्टिंग करने पर मीडियाकर्मियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। इसपर कोर्ट ने कहा कि इस मामले में किसी अंतरिम आदेश कि जरूरत नहीं है व जवाब में कहा कि आपको कौन रोक रहा है?
27 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
आने वाले दिनों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुकदमों की आप लाइव स्ट्रीमिंग देख सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के निर्देशों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस संबंध में सुझाव मांगे हैं। इसको लेकर एक जनिहत याचिका भी दायर हुई है, जिसपर अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी मुकदमों की सुनवाई के दौरान न्यायालयों की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए व्यवस्था की जा रही है। यह बात लाइव स्ट्रीमिंग की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आई है।