नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सेंट्रलाइज्ड KYC रजिस्ट्री यानी नो योर कस्टमर डेटा को सेंट्रलाइज्ड सिस्टम में डालने वाली व्यवस्था के दायरे में लीगल फर्म्स को भी ले आया है। मतलब RBI से नियमों से बंधी एंटिटीज को अब उनके भी खातों से जुड़े KYC डेटा को CKYCR पर अपलोड करना होगा।
बैंकिंग रेगुलेटर ने इस व्यवस्था के 1 अप्रैल 2021 से लागू होने का एलान किया है। RBI के रेगुलेशन के दायरे में आने वाली बैंकिंग और नॉन बैंकिंग कंपनियां अब तक 1 जनवरी 2017 या उसके बाद खुले सभी इंडिविजुअल एकाउंट के KYC डेटा सेंट्रलाइज्ड KYC रजिस्ट्री (CKYCR) पर अपलोड करती रही हैं।
क्या है KYC का मकसद?
KYC का मकसद आपराधिक तत्वों को मनी लाउंडरिंग और आतंकी गतिविधियों के वास्ते पैसों के लेन-देन के लिए बैंकिंग चैनल के गलत इस्तेमाल को रोकना है। KYC प्रक्रिया से बैंक अपने कस्टमर और उनके वित्तीय लेनदेन को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं और उनको उनसे जुड़े रिस्क से निपटने में मदद मिलती है।
अब तक किनका KYC था दायरे में?
RBI ने शुक्रवार को कहा कि इंडिविजुअल कस्टमर्स वाली सेंट्रल KYC रजिस्ट्री व्यवस्था पूरी तरह चालू है और अब इसके दायरे में लीगल फर्म्स को भी लाने का फैसला किया गया है। उसने कहा कि उसके रेगुलेशन के दायरे में आने वाली बैंकिंग और नॉन बैंकिंग कंपनियों को लीगल फर्म्स के KYC डेटा 1 अप्रैल 2021 से CKYCR में PML प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंडरिंग एक्ट के रूल्स के तहत अपलोड करना होगा।
अब क्या और कब होगा?
उनको यह सुनिश्चित करना होगा कि 1 अप्रैल 2021 से पहले खोले गए खातों के KYC रिकॉर्ड मास्टर डायरेक्शन के मुताबिक तय समय पर होने वाले अपडेशन में या कस्टमर से KYC से जुड़ी जानकारी मिलते ही CKYCR पर अपलोड कर दिए जाएं। रिजर्व बैंक ने यह भी कहा कि सभी मौजूदा रिकॉर्ड CKYCR पर अपलोड हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए रेगुलेटेड एंटिटीज को 1 जनवरी 2017 से पहले खुले इंडिविजुअल एकाउंट के KYC डेटा अपडेशन के वक्त अपलोड करना होगा।