लखनऊ। देश भर में सोशल मीडिया के गलत नतीजों को देखते हुए लखनऊ पुलिस की नजरें इस तरफ टेढ़ी हो गयीं है। लखनऊ के तेजतर्रार एसएसपी कलानिधि नैथानी ने इसपर कार्रवाई करने का मन बना लिया है। उल्लेखनीय है कि अगर आप भी किसी सोशल मीडिया ग्रुप के ऐडमिन हैं तो संभल जाइए। अब फेसबुक, वॉट्सऐप या सोशल मीडिया के किसी अन्य ग्रुप में किसी भी सदस्य के द्वारा भड़काऊ पोस्ट डालने पर ग्रुप के ऐडमिन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसी भी तरह की भड़काऊ पोस्ट करने पर ऐडमिन के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून सहित अन्य कड़ी कानून के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने गलत और झूठी खबरों की वजह से बिगड़ती कानून व्यवस्था से सख्ती से निपटने के लिए यह फैसला लिया है। अब ग्रुप ऐडमिन को ऐसी किसी भी तरह की डिस्टर्बिंग पोस्ट को रिमूव करना होगा या फिर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी होगी। पुलिस ने इसके साथ ही भड़काऊ पोस्ट को रिपोर्ट करने के लिए हेल्पलाइन भी जारी किया है।
सोशल मीडिया के बढ़ते गलत इस्तेमाल पर आगाह करते हुए एसएसपी नैथानी ने कहा, ‘ऐसे कई सारे ग्रुप्स हैं जो केवल झूठी खबरें ही फैला रहे हैं। अब उन पर निगरानी रखना जरूरी हो गया है। अगर हम कुछ कठोर कदम उठाते हैं तो सोशल मीडिया पर झूठी सूचनाओं को फैलने से रोका जा सकता है, जिनसे सांप्रदायिक घटनाओं को रोका जा सकता है। अब ग्रुप ऐडमिन की जिम्मेदारी बनती है कि वो ग्रुप में नजर बनाए रखे और पुलिस को सूचित करे। उन्होंने साथ कहा, ‘साइबर सेल की एक टीम फेसबुक और ट्विटर पर निगरानी रखेगी। सभी जिलों के एसपी और एएसपी को निगरानी बनाए रखने के निर्देश दे दिए गए हैं। वह चाहें तो साइबर सेल या फिर सर्विलांस सेल से सहायता ले सकते हैं। यह नियम केवल ग्रुप के लिए ही नहीं, बल्कि हर किसी के लिए लागू होगा। किसी भी देश, धर्म, पार्टी, संगठन, व्यक्ति के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट करने वाले के खिलाफ रासुका और आईटी ऐक्ट 66A के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि देश भर में सोशल मीडिया पर फैलायी जा रही अफवाहों और धार्मिक निन्दा के कारण कई बार कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बढ़ रही है। देश के कई इलाकों में सोशल मीडिया द्वारा फैलायी गयी अफवाहों में आकर भीड़ कई लोगों की पीट पीट कर जान ले चुकी है। इस मुद्दे की गूंज संसद में भी सुनाई दी थी। विपक्षी पार्टियों ने एक सुर होकर सोशल मीडिया पर बैन लगाने की अपील की थी लेकिन सरकार ने यह कहते हुए उनकी मांग खारिज कर दी थी कि भारत में सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है इसपर रोक लगाना गलत होगा। इसके साथ ही सरकार ने सोशल मीडिया एप के मालिकान को वार्निंग भी दी थी।