वाशिंगटन। अमेरिका ने कहा है कि तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी चुने जाने की प्रक्रिया में चीनी सरकार की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अपने दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि हमारा मानना है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने में चीनी सरकार की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।
प्राइस के अनुसार 25 साल से भी पहले पंचेन लामा के उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया में चीन का हस्तक्षेप धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन को दर्शाता है। इसमें पंचेन लामा को बचपन में ‘गायब’ करना और उन्हें पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) सरकार द्वारा चुने गए उत्तराधिकारी को स्थान देने के साथ बदलना शामिल है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल दिसंबर में एक कानून पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें तिब्बत में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास स्थापित करने और एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने का आह्वान किया गया था, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अगले दलाई लामा को चीन के हस्तक्षेप के बिना तिब्बती बौद्ध समुदाय चुने।
अमेरिका की नीति है कि चीनी सरकार या चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए सभी उचित उपाय किए जाएं, जो तिब्बती बौद्ध धर्म के 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने में सीधे हस्तक्षेप करते हैं।
चीन पिछले एक दशक से दलाई लामा के अगले अवतार (15वें दलाई लामा) पर दावा करता रहा है। दलाई लामा और निर्वासित तिब्बत सरकार ड्रैगन के इस दावे को नकार चुके हैं और कहा है कि अगला अवतार तिब्बती समुदाय के नियमों के अनुसार ही चुना जाएगा। इसे लेकर अमेरिका के साथ संधि से उनके दावे को और बल मिल गया है। 85 साल के 14वें दलाई लामा यह ऐलान कर चुके हैं कि 90 साल का होने पर वह इस बात पर फैसला लेंगे कि उनका अगला अवतार होगा या नहीं।