-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा उपयोगी साबित हुई। दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ा है। सहयोग का नया अध्याय शुरू हुआ है। नेतृत्व के आधार पर विदेश नीति का प्रभाव निर्धारित होता है। देश वही रहता है, लेकिन नेतृत्व बदलते ही अंतरराष्ट्रीय जगत में उसकी भूमिका में बदलाव आ जाता है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय विदेश नीति का प्रभाव बढ़ा है। कुछ समय पहले मोदी ने ह्यूस्टन में अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मंच साझा किया था। अब अहमदाबाद में यह अध्याय दोहराया गया। ये दोनों प्रकरण भारत अमेरिका सम्बन्धों में नए मुकाम के रूप में दर्ज हुए हैं। यह रणनीतिक साझेदारी की अद्भुत अभिव्यक्ति है। अमेरिका में मोदी के भाषण के बाद ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को आतंकवाद रोकने की हिदायत दी थी। अहमदाबाद के भाषण में ट्रम्प ने पुनः पाकिस्तान को चेतावनी दी। मोदी ने ही ट्रम्प से कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ और आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई होनी चाहिए। ट्रम्प ने इसके प्रति अपनी सहमति व्यक्त की थी।
ट्रम्प इस बात से सहमत हैं कि पाकिस्तान ने भारत के प्रति नफरत को ही अपनी राजनीतिक का केंद्र बना लिया है। वह इस्लामी आतंकवाद को संरक्षण देता है। भारत और अमेरिका दोनों अंतरिक्ष और रक्षा सहयोग बढ़ा रहे हैं। संयुक्त सैन्य अभ्यास किए जा रहे हैं। ट्रंप को भी कहना पड़ा कि मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि भारत के हित के लिए अब तक का सबसे अच्छा मित्र व्हाइट हाउस में है।अमेरिकी राष्ट्रपति पहली बार ऐसी सभा में शामिल हुए। मोदी और ट्रम्प के प्रयासों से दोनों देश टू प्लस-टू प्लस वार्ता भी कर चुके हैं। अमेरिका के साथ इस प्रकार की वार्ता करने वाला भारत तीसरा देश है। इससे पूर्व उसकी इस स्तर की वार्ता केवल आस्ट्रेलिया और जापान से थी। यह प्रयोग सफल रहा। उसमें दोनों देशों के बीच कॉमकासा करार हुआ था। नाटो देशों के अलावा केवल तीन देशों के साथ अमेरिका का यह समझौता है। कॉमकासा अर्थात कम्युनिकेशंस ऐंड इन्फारमेशन ऑन सिक्योरिटी मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट। यह भारत अमेरिका संबंधों का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। संचार और सुरक्षा समझौते से दोनों देशों के रिश्तों को मजबूती मिली है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन में भारत की रक्षा जरूरतों पर विचार के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त किया गया था। भारत अब अमेरिका से प्रतिवर्ष दस अरब डॉलर के रक्षा उपकरण खरीद सकेगा। आपसी विश्वास से ही इस प्रकार के समझौते संभव होते हैं। यह संचार एवं सूचना पर सुरक्षा ज्ञापन समझौता अर्थात ‘सिसमोया’ का एक रूप है। भारत को इससे तकनीकी सुविधाएं मिलेंगी। दोनों देशों की सेनाओं के साझा अभियान को गति मिलेगी। ट्रम्प भारत से संबन्ध मजबूत बनाने को विशेष महत्व दे रहे हैं। अमेरिका अब अफगानिस्तान में पाकिस्तान की नकारात्मक भूमिका पर नियंत्रण लगाना चाहता है। इसके अलावा अमेरिका को यह आशंका है कि पाकिस्तान, चीन और रूस आपस मे गठबन्धन न बना लें। अमेरिका इस स्थिति के मुकाबले की तैयारी में है। कुछ समय पहले अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रक्षा सहायता पर रोक लगा दी थी। अमेरिका का कहना था कि पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को पनाह मिली हुई है। इन पर रोक लगाने का वह कोई कारगर प्रयास नहीं कर रहा है। अमेरिका के एजेंडे में भारत के रूस और ईरान से होने वाले समझौते भी शामिल थे। लेकिन अमेरिका ने यह पहले साफ कर दिया था कि यह सब संबंधो में बाधक नहीं बनेंगे। दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने पर सहमति बनी है।
अमेरिका भारत प्रशांत क्षेत्र में भारत की साझेदारी को बहुत महत्व देता है। यह विषय प्रमुखता के साथ वार्ता में रहा। भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण संप्रेक्षण समझौता भी हो चुका है। अमेरिका ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह अर्थात एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन दिया था। दोनों पक्ष कुछ रक्षा समझौतों को अंतिम रूप देने पर पहले ही सहमति बन चुकी थी। अमेरिका भारत के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने को विशेष महत्व देता है। इसे चीन के बढ़ते सैन्य प्रभुत्व के संतुलन के प्रयास के तौर पर देखा गया है। वह हिन्द महासागर, दक्षिण चीन सागर में चीन के गैरकानूनी विस्तार से भी चिंतित है। भारत भी इसका विरोध कर चुका है। अमेरिका ने कहा कि समुद्री क्षेत्र की आजादी सुनिश्चित होनी चाहिए और समुद्री विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम होना चाहिए। आतंकवाद, रक्षा सहयोग और व्यापार, पाकिस्तान एचवनबी वीजा की प्रक्रिया में बदलाव, संचार सुरक्षा समझौते अर्थात सीओएमसीएएसए पर भी दोनों के बीच आपसी समझ है। कुछ दिन पहले अमेरिका ने अपने नब्बे प्रतिशत रक्षा उपकरण भारत को बिना लाइसेंस देने की घोषणा की थी। इससे भारतीय सेना को उच्च अमेरिकी सैन्य तकनीक हासिल करने में आसानी हो रही है। यह आशंका थी कि ट्रम्प के कार्यकाल में भारत अमेरिका संबंधो में पहले जैसी गर्मजोशी नहीं रहेगी। उनके पूर्ववर्ती बराक ओबामा और भारतीय प्रधानमंत्री ने इसे बेहतर मुकाम तक पहुंचाया था। लेकिन यह आशंका निर्मूल साबित हुई। मोदी ने ओबामा के समय हुई सहमति को दृढ़ता पूर्वक आगे बढ़ाया। ट्रम्प ने इस तथ्य को समझा। इसीलिए उन्होंने कहा था कि मोदी भारतीय हितों के कठोर बार्गेनर है। वह भारत के हितों को सर्वोच्च मानकर चलते हैं। मोदी के प्रयास सफल रहे। ट्रम्प ने भी भारत के साथ संबंधों में गर्मजोशी कम नहीं होने दी।
अपाचे और एमएच सिक्सटी रोमियो हेलीकॉप्टर सहित दुनिया में बेहतरीन उन्नत अमेरिकी सैन्य उपकरणों के तीन बिलियन डॉलर से अधिक की खरीद के लिए भारत के साथ समझौते हुए। इससे दोनों देशों की संयुक्त रक्षा क्षमता मजबूत होगी। हैदराबाद हाउस के साझा बयान में भी सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का मंसूबा व्यक्त किया गया। अमेरिका तेल और गैस की आपूर्ति भारत के लिए महत्वपूर्ण है। इसके लिए बड़ी ट्रेड डील वार्ता पर सहमति बनी। अमेरिका संतुलित व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध है। हेल्थ के मुद्दे पर भी दोनों देशों के बीच करार हुआ है। दोनों देशों के बीच ट्रेड समझौते पर वार्ता होगी। यह दोनों देशों में निवेश करने को काफी आसान बना देगा। आशा है कि अमेरिका अभी तक का सबसे बड़ा ट्रेड भारत के साथ ही करेगा। भारत में अमेरिकी निर्यात लगभग साठ प्रतिशत व अमेरिकी ऊर्जा का निर्यात पांच सौ प्रतिशत तक बढ़ा है। सुरक्षित फाइव जी वायरलेस नेटवर्क पर भी वार्ता हुई है। अमेरिका के सांसदों के एक समूह ने ट्रम्प की यात्रा को बहुत उपयोगी बताया है। यह भारत और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा हित एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए उपयोगी साबित हुई है। सीनेटर टेड क्रूज ने भारत को अमेरिका का मित्र और सहयोगी बताया। दोनों देश राष्ट्रीय सुरक्षा,शांति और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए संयुक्त रूप से आगे बढ़ सकते हैं। ऐसे ही विचार सांसद पीट ओल्सन ने व्यक्त किए। दोनों देशों ने आतंकवाद का समर्थन करने वालों की निंदा की है। भारत व अमेरिका की साझेदारी महत्वपूर्ण है। यह रक्षा, सुरक्षा, ऊर्जा रणनीतिक साझेदारी, व्यापार व लोगों से लोगों के संबंध तक विस्तृत है। चिकित्सा उत्पादों की सुरक्षा के विषय पर भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये गए। इसमें भारत की ओर से सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन तथा अमेरिका का फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन शीर्ष संस्था है। इंडियन ऑयल कारपोरेशन एवं एक्जान मोबिल इंडिया एलएनजी लिमिटेड तथा चार्ट इंडस्ट्रीज आईएनसी के बीच सहयोग पत्र पर भी हस्ताक्षर किए गए। दोनों देशों ने अपने संबंधों को समग्र वैश्विक सामरिक गठजोड़ के स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया है। जाहिर है कि डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा सार्थक साबित हुई। इससे दोनों देशों के आपसी रिश्ते मजबूत हुए हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)