नई दिल्ली। ईमानदार करदाताओं को प्रधानमंत्री की नई सौगात के साथ ही ईमानदारी से आयकर का भुगतान करने वाले लोगों के लिए टैक्स प्रणाली की नई व्यवस्था शुरू हो गई है। इसके तहत अब करदाता का पहचान रहित (फेसलेस) मूल्यांकन किया जाएगा। सरकार ने कर सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए करदाता चार्टर लागू करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही कर चोरी रोकने के लिए आयकर विभाग ने फॉर्म-26एएस में पहले से दिखाए जाने वाले मदों का दायरा भी बढ़ा दी है।
दरअसल पारदर्शी कराधान प्लेटफॉर्म लॉन्च करने के साथ ही टैक्सेक्शन का दायरा बढ़ाने के लिए फेसलेस असेसमेंट और रिटर्न दाखिले में सरलता लाने जैसे कई और टैक्स सुधारों का भी ऐलान किया गया है। टैक्स व्यवस्था में सुधार, सरलता और पारदर्शिता लाने के लिए टैक्स डिस्क्लोजर के लिए तमाम तरह के लेनदेन की थ्रेसहोल्ड (न्यूतम सीमा) घटाने का भी फैसला लिया गया है।
सरकार का ऐसे करने का मकसद टैक्स आधार को बढ़ाना और इसकी चोरी रोकना है। यदि आप कोई व्हाइट गुड खरीदते हैं, प्रॉपर्टी टैक्स चुकाते हैं, मेडिकल या लाइफ इंश्योरेंस का प्रीमियम और होटल बिल का भुगतान करते हैं तो बिलर को इसकी सूचना सरकार को देनी होगी और आपके ये सारे खर्चे फॉर्म-26एएस में दर्ज मिलेंगे।
फाइनेंशयिल एक्सपर्ट अमित रंजन ने बताया कि सरकार ने कालाधन (ब्लैकमनी) को बाहर निकालने के लिए ये नए कानून बनाए हैं। इसके साथ ही कुछ विशेष तरह के लेनेदेन और खऱीद-बिक्री की जानकारी को देना अनिवार्य कर रही है। अमित रंजन का कहना है कि सरकार आंकड़ों पर ज्यादा निर्भर रहते हुए जांच के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या को कम करने का प्रयास कर रही है और डेटा विश्लेषण पर ज्यादा निर्भर रहते हुए ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि करदाता को परेशान नहीं किया जाएगा।
आयकर विभाग को देनी होगी इन चीजों की जानकारी
नई व्यस्था लागू हो जाने से अब अगली बार जब आप 20 हजार रुपये से ज्यादा के इश्योरेंस प्रीमियम एवं होटल के बिल का भुगतान और जीवन बीमा पर 50 हजार रुपये से ज्यादा का खर्च करते हैं तो इसकी जानकारी आपको आयकर विभाग को देनी होगी।
वहीं, यदि एक लाख रुपये से ज्यादा का स्कूल फीस भरने या फिर कोई व्हाइट गुड, ज्वैलरी, मार्बल और पेंटिंग की खऱीद आप करते हैं तो इस बात को ध्यान में रखना होगा कि इन चीजों के लिए आपने जिसको और जितना भुगतान किया है। इन मदों में हुए लेन-देन की पूरी जानकारी आयकर विभाग को देनी होगी।
इसके अलावा 20 हजार रुपये से एक लाख रुपये से ज्यादा प्रॉपर्टी टैक्स और बिजली के बिल के भुगतान की जानकारी भी आपको आयकर विभाग को देनी होगी।
इतना ही नहीं आप ऑनलाइन जाकर किए गए इन खर्च की पुष्टि कर सकते हैं। लेकिन आप इस बात से इनकार करते हैं कि आपने इनमें से कोई लेनदेन नहीं किया है तो आयकर विभाग उसको सूचना देने वाली कंपनी से क्रॉस वेरीफाइ करेगा। इस स्थित में अगर आपका दावा गलत पाया जाता है तो आपको अपने आयकर रिटर्न में बदलाव करना होगा।
उल्लेखनीय है कि अभी ये देखना बाकी है कि ये नए प्रावधान कैसे लागू होंगे और क्या इससे व्यक्तिगत करदाता का कम्प्लायंस बोझ बढ़ तो नहीं जाएगा। लेकिन, जून 2020 से करदाताओं को इस तरह की तमाम नोटिसें मिल रहीं हैं, जिसमें ये कहा गया है कि इस बात की पुष्टि करें कि उन्होंने कुछ खास और हाई वैल्यू वाले लेनदेन किए हैं कि नहीं।