सत्येंद्र शुक्ला
जयपुर। कांग्रेस ने 43 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है। पहली लिस्ट के 33 उम्मीदवारों को मिलाकर कांग्रेस ने 76 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस ने अपने विधायकों और मंत्रियों पर फिर भरोसा जताया है। यह बात समझने वाली है कि कांग्रेस द्वारा विधायकों के टिकट रिपीट करना उसकी मजबूरी है या रणनीति का हिस्सा है।
बहरहाल दोनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के टिकट घोषणा के बाद 43 सीटों पर स्थिति क्लियर हो गई है। खास बात यह है कि इनमें भी ज्यादातर सीटों पर सियासत के वही पुराने खिलाड़ियों के बीच मुकाबला है। इनमें दोनों ही प्रत्याशियों ने समय समय पर एक दूसरे को हराया है।
कांग्रेस की मजबूरी क्या हो सकती है
राजस्थान कांग्रेस में सीएम अशोक गहलोत व पायलट सियासत के दो प्रमुख केंद्र बने हुए हैं। विधायक और कांग्रेस के नेता इन्हीं खेमों में बंटे हुए हैं। आलाकमान ने दोनों को ही टिकट वितरण कमेटी में शामिल किया था। जब एक विरोध करेगा तो दूसरे का भी विरोध होगा। अपने हितों को देखते हुए दोनों ही नेताओं ने सहमति व्यक्त कर दी। ऐसे में मजबूरी में इन नेताओं को अपने वर्तमान विधायकों के नाम ही शामिल करने पड़े।
जहां तक सर्वे रिपोर्ट का सवाल है-राजस्थान में अब तक के सर्वे में बतौर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सबसे ज्यादा अंक मिले हैं। दूसरी मजबूरी यह रही कि टिकट बदलने पर बीजेपी में ज्यादातर सीटों पर विरोध देखने को मिल रहा है। इस विरोध को खत्म करने के लिए कांग्रेस ने अपनी टीम में बदलाव को ज्यादा तवज्जो नहीं दी।
क्या यह कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में नए जिले बनाने का जो मास्टर स्ट्रॉक के खेला है, उसमें कहीं न कहीं विधायकों की भूमिका रही है। इसका श्रेय इलाकों में मौजूदा विधायकों को ही मिल रहा है, जैसा कि सर्वे में सामने आया है। बीजेपी या विरोधियों ने कांग्रेस के विधायकों के प्रति नाराजगी का एक दांव खेला था, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उसका जवाब दिया कि विधायकों को सरकार गिराने के लिए करोड़ों रुपए का ऑफर दिया गया, लेकिन हमारे विधायक नहीं बिके। जिन विधायकों ने ऑफर दिया और जिन्होंने सौदा किया, उनका नाम कोई क्यों नहीं ले रहा है?
बहरहाल बीजेपी और कांग्रेस की सूचियों के लिहाज से 43 सीटों पर मुकाबला क्लियर हो गया है। इनमें ज्यादातर सीटों पर वही पुराने खिलाड़ी हैं। जैसे खेरवाड़ा में कांग्रेस के दयाराम परमार व बीजेपी के नानालाल अहारी, सलूंबर में रघुवीर मीणा (पहले पत्नी) बनाम अमृतलाल मीणा, मालवीय नगर से अर्चना शर्मा बनाम कालीचरण सराफ, निम्बाहेड़ा से उदयलाल आंजना बनाम श्रीचंद कृपलानी। इस प्रकार अन्य सीटों पर भी दोनों ही दलों ने वही पुराने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। भले ही दोनों ही दलों ने पुराने खिलाड़ियों को ही मैदान मे उतारा है। इनके बीच पहले भी मुकाबले रोचक रहे हैं और इस बार सियासी मैच रोमांचक होने वाला है।