लखनऊ। हेट स्पीच मामले में तीन साल की सजा होने के बाद आजम खान की विधानसभा सदस्यता तो चली ही गई लेकिन अब समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के लिए अब यह लाख टके का सवाल बन गया है कि उनकी गैरहाजिरी में 5 दिसम्बर को होने जा रहे उपचुनाव में रामपुर का मोर्चा कौन सम्भालेगा। मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट के साथ ही रामपुर विधानसभा सीट पर भी पांच दिसम्बर 2022 को उपचुनाव होगा।
रामपुर विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में प्रत्याशी चुनना सपा और आजम परिवार के लिए इसी साल 23 जून को रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के लिए प्रत्याशी चुनने से भी ज्यादा कठिन है। तब आजम ने तमाम पहलुओं पर गौर करते हुए परिवार के बाहर के आसिम रजा पर दांव लगाया था जिन्हें बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने 42 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया। इस बार सपा, अखिलेश और आजम रामपुर में किसे अपना चेहरा बनाते हैं इस पर सबकी नज़र रहेगी।
रामपुर विधानसभा सीट से सदस्यता खत्म होना आजम के लिए बहुत बड़ा झटका है। लगातार दूसरी बार ऐसा मौका आया है जब आजम पूरे पांच साल विधायक नहीं रह सके। पिछली बार उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और इस बार कोर्ट से सजा सुनाए जाने के कारण उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई। रामपुर विधानसभा सीट के लिए भी बीते करीब छह साल में यह चौथा मौका है जब यहां चुनाव होने जा रहा है। इनमें दो बार आम चुनाव हुए हैं और दूसरी बार उपचुनाव होने जा रहा है।
रामपुर 1980 से ही आजम खान का गढ़ बना रहा है। 1977 में पहला चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी से हारने के बाद 1980 में आजम की जीत का सिलसिला जो एक बार शुरू हुआ तो फिर 1985, 1989, 1991, 1993, 2002, 2007, 2012, 2017 और 2022 में लगातार 10 चुनावों तक जारी रहा। हालांकि 2019 में लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद आजम ने इस सीट पर इस्तीफा दे दिया। इससे खाली हुई सीट पर उनकी पत्नी डॉ.तंजीम फातिमा ने चुनाव लड़ा और जीतीं।
लोकसभा चुनाव के बाद गर्दिश में आए सितारे
लोकसभा चुनाव के आसपास ही आजम खान के सितारे गर्दिश में आने शुरू हो गए थे। इस दौरान उन पर कई मुकदमे दर्ज हुए और जेल जाना पड़ा। आजम ने 2022 का विधानसभा चुनाव जेल से ही लड़ा और जीत हासिल की। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार आकाश सक्सेना को हराया था। यूपी विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। आजम खान करीब 27 महीने तक सीतापुर जेल में बंद रहे।
इसके बाद उन्हें जमानत मिली तो रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव सामने खड़ा था। सपा ने इस सीट पर प्रत्याशी का चयन आजम पर छोड़ दिया था। लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार उन्होंने अपने पुराने साथी आसिम रजा पर दांव लगाया लेकिन चुनावी मैदान में वह नाकामयाब रहे।
उधर, समाजवादी पार्टी को रामपुर में आसिम रजा के साथ ही आजमगढ़ सीट पर धर्मेन्द्र यादव की हार का दोहरा झटका झेलना पड़ा। बता दें कि रामपुर के साथ ही आजमगढ़ लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव हुआ था। आजमगढ़ की सीट विधानसभा सदस्य चुने जाने के बाद अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई थी। सपा ने यहां से अखिलेश के चचेरे भाई और पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव को मैदान में उतारा था।
इस बार सपा के लिए रामपुर और मैनपुरी जीतने की चुनौती
यह संयोग ही है कि जून 2022 में जहां सपा के सामने अपने दो गढ़ आजमगढ़ और रामपुर में लोकसभा सीटें बचाने की चुनौती थी वहीं इस बार भी उसके दो गढ़ रामपुर और मैनपुरी दांव पर हैं। मैनपुरी लोकसभा सीट सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के चलते खाली हुई है। माना जा रहा है कि वहां से अखिलेश, पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बना सकते हैं लेकिन रामपुर से फिलहाल कोई नाम सामने नहीं आया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार भी सपा के लिए प्रत्याशी चयन में आजम की पसंद ही निर्णायक होगी लेकिन खुद आजम के लिए बीजेपी से लड़कर गढ़ को बचाए रखने में सक्षम उम्मीदवार की तलाश आसान नहीं होगी।