लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हुए 47 बार हुए विधानसभा चुनाव में 21 बार सरकार बनाने वाली कांग्रेस साल 1989 से वनवास पर है। तब मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे। तीन दशक के इस वनवास को खत्म करने के लिए कांग्रेस BJP की तर्ज पर UP में नए सिरे से पार्टी का गठन कर रही है। इसके पीछे प्रदेश प्रभारी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी की सोच है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 30 साल बाद ब्लॉक स्तर पर संगठन के गठन की प्रक्रिया शुरू की है। अब तक 2300 ब्लॉक इकाइयों का गठन हो चुका है। वहीं, आजादी के बाद न्याय पंचायत स्तर पर संगठन को फिर से खड़ा किया जा रहा है। फिलहाल, पार्टी के बुजुर्ग व युवा नेता इस कवायद को कांग्रेस की ‘मौन क्रांति’ मान रहे हैं।
16 जिलों की न्याय पंचायत तक पहुंचे UP अध्यक्ष
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू लगभग 20 दिनों से लगातार प्रदेश के दौरे पर हैं। जिसमें वे 16 जिलों की न्याय पंचायत स्तर की बैठकों में शामिल होकर ब्लाक कांग्रेस कमेटी और न्याय पंचायत कमेटियों के गठन में शामिल रहे हैं। प्रदेश में 2300 न्याय पंचायतों का गठन हो चुका है।
प्रदेश अध्यक्ष का दावा है कि जल्दी ही प्रदेश की 8000 हजार न्याय पंचायत में कांग्रेस अपनी 21 सदस्यों की कमेटियों का गठन पूरा कर लेगी। संगठन में तेजी लाने के लिए कांग्रेस आगामी दिनों में हर जिले में 15 दिवसीय प्रवास की योजना बना रही है, जिसमें पार्टी के पदाधिकारी निश्चित जिले में रहकर संगठन की निर्माण की प्रकिया को अन्तिम रूप देंगे। कांग्रेस का लक्ष्य है कि प्रदेश की 60 हजार ग्राम सभाओं पर ग्राम कांग्रेस कमेटियों का गठन जल्द पूरा किया जाए।
क्या कहते हैं जानकार?
वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि कांग्रेस की गठन प्रक्रिया तो चल रही है लेकिन शहरों में मजबूती पहले होनी चाहिए और उसके बाद गांव में मजबूती दिखाई पड़ेगी। उनका मानना है कि ब्लॉक स्तर पर गठन कितना जमीन पर उतरेगा या तो आने वाला समय बताएगा।
देवीपाटन मंडल से शुरू हुआ बूथ लेवल संगठन का गठन
BJP की तर्ज पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी बूथ लेवल पर संगठन को मजबूत बनाने में जुटी है। मार्च से पहले बूथ स्तर पर संगठन का गठन पूरा करना है। इसके लिए देवीपाटन मंडल से 15 दिसंबर को शुरुआत हो चुकी है। कांग्रेस को बूथ लेवल पर मजबूत बनाने की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री कांग्रेस के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी को दी गई है। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस का कहना है कि बूथ स्तर पर भाजपा जैसे सक्रिय कार्यकर्ता कांग्रेस को मिलना यह भी एक बड़ी चुनौती है।
सलाहकार की भूमिका में होंगे बुजुर्ग कांग्रेसी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का मानना है कि प्रियंका गांधी के निर्देश पर प्रदेशभर के उपेक्षित कांग्रेसियों से संपर्क साधा जा रहा है और उन्हें सलाहकार की भूमिका में लाया जा रहा है। संगठन के साथ साथ पुराने कांग्रेसी नेताओं को भी सूचीबद्ध करके उनसे संपर्क किया जा रहा है। जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर पर उनकी सलाह पर विचार किया जाएगा।
सत्ता की चाहत में दो बार किया गठबंधन, मगर नहीं मिली सफलता
कांग्रेस ने सत्ता की चाहत में अब तक दो बार UP में गठबंधन किया। पहली बार 1996 में तो दूसरी बार 2017 के विधानसभा चुनाव में, लेकिन दोनों बार करारी हार मिली। कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस 2022 के चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। अकेले दम पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगी।
- 2017 में साथ पसंद नहीं आया: सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी सरकार दोबारा बनाने की गरज से 2017 के चुनाव में बड़ा कदम उठाते हुए कांग्रेस से दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। सपा ने कांग्रेस के लिए 200 से कुछ ज्यादा सीटें छोड़ीं, पर दोनों का मिला-जुला वोट बैंक भी कुछ खास नहीं कर पाया। सपा को 47 तो कांग्रेस को सात सीटें ही मिलीं। .
- 1996 में बसपा से किया गठजोड़: 1996 चुनाव में बसपा ने 296 सीटों पर और कांग्रेस ने 126 सीटों पर चुनाव लड़ा और बसपा 67 सीटें जीती तो कांग्रेस 33 सीटें जीत पाई। बसपा ने कहा कि कांग्रेस का वोट उसे ट्रांसफर नहीं हो पाया, जबकि उसका वोट पूरी ईमानदारी से कांग्रेस को चला गया। बहरहाल, कुछ समय बाद भाजपा ने बसपा को सहयोग कर उसकी सरकार बनवा दी। इसके बाद बसपा ने कभी कांग्रेस से गठजोड़ नहीं किया।