नई दिल्ली। कई सालों के बाद आसमान में धूमकेतु नियोवाइज को देखा गया। हालांकि दिल्ली में आसमान में बादल छाए रहे लेकिन देश के कई ऱाज्यों में इस धूमकूतु को आसमान में देखा गया। बुधवार को यह धूमकेतु पृथ्वी के सबसे पास यानि 10.3 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित था। ऐसा नजारा गुरुवार को भी दिखने को मिलेगा। इसे देखने के लिए सूर्य के उगने और सूर्य ढलने के 20 मिनट तक साफ साफ देखा जा सकेगा। वैज्ञानिको के अनुसार अब यह अनोखी खगोलीय घटना जुलाई के महीने के बाद 6800 साल बाद दिखाई देगी।
नेहरू प्लेनेटोरियम की निदेशक डॉ. एन रत्नाश्री ने बताया कि यह धूमकेतु मार्च के अंतिम हफ्ते में सूरज के बेहद करीब था, जिससे यह नासा के सोलर मिशन को दिखा। इस धूमकेतु तब से अध्ययन किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि धूमकेतु जुलाई से ही शाम को आसमान में देखा जा सकता है। शाम के समय यह धूमकेतु आसमान में और ऊपर की ओर चढ़ेगा और लंबे समय तक दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि दूरबीन की मदद से इसे आसानी से देखा जा सकता है। 23 जुलाई को यह पृथवी के काफी करीब होगा लेकिन इसे 30 जुलाई के आसपास इसे 40 डिग्री की ऊंचाई पर सप्तऋर्षि मंडल के पास देखा जा सकेगा।
डॉ. रत्नाश्री ने बताया कि जुलाई के बाद यह बहुत तेजी से गायब हो जाएगा और खुली आंखों से दिखाई नहीं देगा। हालांकि, इसे दूरबीन या स्पेस दूरबीन की मदद से देखा जा सकेगा। इस धूमकेतु को नासा ने मार्च में खोजा था। धीरे-धीरे यह सौरमंडल से बाहर निकल जाएगा।
क्या होते हैं धूमकेतु
धूमकेतु सूरज का चक्कर काटते हैं लेकिन वे चट्टानी नहीं होते बल्कि धूल और बर्फ से बने होते हैं। जब ये धूमकेतु सूरज की तरफ बढ़ते हैं तो इनकी बर्फ और धूल भाप में बदलते हैं जो हमें पूंछ की तरह दिखता है। खास बात ये है कि धरती से दिखाई देने वाला कॉमट दरअसल हमसे बेहद दूर होता है।