नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारत की जीडीपी विकास दर अनुमान को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया गया है। पहले यह 7.2 प्रतिशत था। यह जानकारी आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को दी।
उन्होंने बताया कि यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि इस वर्ष की दूसरी तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5.4 प्रतिशत की वृद्धि अनुमान से काफी कम रही।
दास ने आगे कहा कि भारत की ग्रोथ स्टोरी जारी है। हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर बता रहे हैं कि घेरलू आर्थिक गतिविधियों में आई सुस्ती चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में बॉटम आउट हो गई है। इसकी वजह त्योहारी सीजन के कारण मांग में सुधार होना और ग्रामीण गतिविधियों में तेजी आना है।
दास ने बताया कि विकास में गिरावट का कारण औद्योगिक वृद्धि दर में भारी गिरावट थी, जो पहली तिमाही में 7.4 प्रतिशत से घटकर दूसरी तिमाही में 2.1 प्रतिशत रह गई। इसका कारण विनिर्माण कंपनियों का कमजोर प्रदर्शन, खनन गतिविधियों में कमी और बिजली की कम मांग थी।
आगे कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में कमजोरी व्यापक नहीं थी, बल्कि पेट्रोलियम उत्पादों, लोहा और इस्पात तथा सीमेंट जैसे विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित थी। औद्योगिक गतिविधि सामान्य होने और पिछली तिमाही के निचले स्तर से उबरने की उम्मीद है।
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। वहीं, चौथी तिमाही के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.3 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है।
अक्टूबर की एमपीसी के बाद आरबीआई द्वारा भारत की जीडीपी विकास दर वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था, जो कि वित्त मंत्रालय के आर्थिक सर्वे के अनुमान 6.5 से लेकर 7 प्रतिशत से ज्यादा था।