प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी के खुलासे पर हथियार की खोज अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के कहने पर हथियार की खोज करना महत्वपूर्ण है, लेकिन इस तरह के खुलासे से यह निष्कर्ष नहीं निकला जा सकता है कि आरोपी ने अपराध किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने छत्तू चेरो की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने मामले में याची को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को रद्द कर दिया और उसे तुरंत छोड़ने का आदेश दिया।
मामले में आईपीसी की धारा 302 के तहत 30 अप्रैल 2014 को पत्नी की हत्या के मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफएफआईआर दर्ज कराई गई थी। जांच में याची ने जांच अधिकारी को बताया कि उसने घटना को अंजाम देने केबाद कुल्हाड़ी को पास में छिपा दिया था। उसके बाद याची को हिरासत में ले लिया गया और उसके कहने पर कुल्हाड़ी बरामद की गई।
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फारेंसिक लैब की रिपोर्ट में कहा गया कि कुल्हाड़ी, कथरी, खाट की रस्सी, ब्लॉउज और कांच की चूड़ियों पर खून पाया गया था। निचली अदालत ने गवाहों के बयान, दस्तावेजी साक्ष्य और हथियार (कुल्हाड़ी) की बरामदगी पर विचार किया।