आर्थिक पैकेज से किसान, मजदूर और बेरोजगार हो चुके लोग असहाय छूट गए: चिदंबरम

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन के प्रभाव के बीच केंद्र सरकार द्वारा घोषित किए गए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज को कांग्रेस ने निराशाजनक बताया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि इस पैकेज से लोगों को किसी भी तरह से मदद मिल रही है। ऐसे में सरकार से अनुरोध है कि वो अपने प्रोत्साहन पैकेज पर पुनर्विचार करे। उन्होंने कहा कि वास्तविक तौर पर 10 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की जानी चाहिए।

पी. चिदंबरम ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हमने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित पैकेज की विस्तृत जानकारी का विश्लेषण किया और पाया कि इसमें सिर्फ 1,86,650 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज है। चिदंबरम के मुताबिक आर्थिक बजट की शेष राशि कई बजट का हिस्सा है और कई घोषणाएं कर्ज देने की व्यवस्था का हिस्सा है। सरकार के इस आर्थिक पैकेज से 13 करोड़ कमजोर परिवार, किसान, मजदूर और बेरोजगार हो चुके लोग असहाय छूट गए हैं। उन्होंने दावा किया कि सरकार की ओर से घोषित पैकेज में सिर्फ 1,86,650 करोड़ रुपये की वित्तीय प्रोत्साहन राशि है जो भारत की जीडीपी का सिर्फ 0.91 फीसदी है।

कांग्रेस नेता ने आर्थिक पैकेज की आलोचना करते हुए कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहन जीडीपी के 0.91 प्रतिशत की राशि 1,86,650 करोड़ रुपये है। आर्थिक संकट की गंभीरता को देखते हुए यह पूरी तरह से अपर्याप्त है। सरकार जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर वास्तविक अतिरिक्त व्यय के 10 लाख रुपये से कम नहीं के व्यापक राजकोषीय प्रोत्साहन की घोषणा करे।

वहीं सरकार को सुझाव देते हुए चिदंबरम ने कहा कि केंद्र सरकार अधिक उधार ले और अर्थव्यवस्था को एक प्रोत्साहन देने के लिए अधिक खर्च करे। उन्होंने कहा कि ज्यादातर विश्लेषकों, रेटिंग एजेंसियों और बैंकों ने राजकोषीय प्रोत्साहन का आकार 0.8 प्रतिशत से 1.5 प्रतिशत के बीच रखा है। ऐसे में पैकेज को अपर्याप्त माना जाना चाहिए और सरकार को संशोधित व व्यापक पैकेज लेकर आना चाहिए।

इस दौरान कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पांच दिनों के धारावाहिक से देश के गरीबों, मजदूरों, किसानों और मध्य वर्ग के लोगों को सिर्फ निराशा हाथ लगी है। उन्होंने केंद्र के आर्थिक पैकेज को जुमला पैकेज बताया। वहीं मनरेगा का मजाक बनाए जाने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए सुप्रिया ने कहा कि पीएम मोदी ने संसद के पटल पर मनरेगा का मजाक मनाया था लेकिन आज मनरेगा ग्रामीण भारत में संजीवनी का काम कर रही है।

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