कोरोना की दूसरी लहर के जानलेवा होने के पीछे इसका डबल म्यूटेन्ट वायरस है । भारत में बीते 24 घंटों में जितने केस आए हैं उतने अमेरिका और ब्राजील में कुल मिला कर भी नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार की तेजी के पीछे कोरोना का डबल म्यूटेन्ट वायरस है जिसने सबकी चुनौतियों को और बढ़ा दिया है ।
नैशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) ने B.1.617 नाम के एक नए वैरिएंट ‘डबल म्यूटेंट’ के मारे में मार्च में बताया था । इसमें म्यूटेन्ट दो तरीके से हुआ जिसे वैज्ञानिकों ने E484Q और L452R म्यूटेशन का नाम दिया है यानी इस वायरस के जीनोम में दो बार बदलाव हो चुका है ।
देश के 5 राज्यों में इस डबल म्यूटेंट वायरस की पहचान की जा चुकी है और दुनिया में इस नए स्ट्रेन के केस अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में भी पाए गए हैं।
E484Q और L452R नाम के वैरिएन्ट पहले से दुनिया भर में फैले हुए थे और अब जब ये दोनों मिल गए हैं तो इसका असर जानलेवा होने लगा है । संक्रमण की दर कई गुण बढ़ गई है । इस डबल म्यूटेशन के कारण कोरोना वायरस से जुड़े दो अलग-अलग तरह के स्पाइक प्रोटीन मार्कर पाए गए हैं जिसकी वजह से यह वायरस इंसान के सेल्स से चिपक कर अंगों पर प्रहार करने लगता है ।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि नया वैरिएंट संक्रमण रेट को भी बढ़ा सकता है और यह लोगों के इम्युनिटी डिफेंस को आसानी से भेद सकता है।
इस वैरिएन्ट का असर उन लोगों पर भी हो रहा है जिन्होंने वैक्सीन लगवा ली है । ऐसे लोगों में ज्यादातर वो हैं जो पहले भी कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। कोविड की वैक्सीन फिलहाल सौ फीसदी असरदार नहीं है, वहीं ज्यादा मजबूत और अलग स्पाइक प्रोटीन के कारण नए वैरिएंट को एंटीबॉडीज को मात देने में आसानी हो सकती है।