ईएमआई के जरिए क्रेडिट कार्ड बिल का पेमेंट ! सम्भल जाइए

क्या आप ईएमआई के जरिए अपने क्रेडिट कार्ड बिल का पेमेंट करने की योजना बना रहे हैं तो सम्भल जाइए, क्योंकि आपके लिए पहले यह जान लेना बेहद जरूरी है कि इस पर आपको अलग से ब्याज भी देना होगा। इसलिए इस आसान विकल्‍प को आप तभी चुनें, जबकि आप पैसे की काफी किल्‍लत के कारण अपने क्रेडिट कार्ड के पूरे बिल का भुगतान करने में फिलवक्त असमर्थ हैं।

इस विकल्‍प को तभी चुनें, जबकि आप वाकई असमर्थ हों और कोई दूसरा चारा नहीं बचा हो। क्योंकि बैंक इसके लिए 1 से 3 फीसदी तक प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं। यही नहीं, लोन की ईएमआई अवधि से पहले यदि आप पेमेंट करते हैं तो बैंक प्रीपेमेंट चार्ज भी वसूल सकते हैं।

बताते चलें कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस कोविड 19 के कारण कई लोगों की नौकरी चली गई है तो कईयों की सैलरी में भी काफी कटौती की गई है। इसके चलते शहरों, महानगरों में लोगों को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि अब तक क्रेडिट कार्ड का धड़ल्ले से इस्तेमाल करने वालों को फिलवक्त क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान करने में भारी परेशानी हो रही है।

इसलिए, यदि आपके सामने भी ऐसी कोई समस्या है और आप अपने क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान ईएमआई यानी आसान किस्तों में करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अतिरिक्त ब्याज भी चुकाना होगा। जो आपकी जेब पर कुछ न कुछ अतिरिक्त भार अवश्य डालेगा। लिहाजा, हम आपको यहां खुलकर बता रहे हैं कि ऐसा करना आपके लिए सही रहेगा या नहीं?

पर्सनल फिनांस के जानकार बताते हैं कि यदि आप अपने क्रेडिट कार्ड बिल को एक साथ नहीं भर पा रहे हैं तो इसे ईएमआई पद्धति में बदल सकते हैं। क्योंकि यदि आप ऐसा करेंगे तो आपसे क्रेडिट कार्ड बिल की राशि छोटी-छोटी किस्‍तों में हर महीने वसूली जाएगी। कहने का तात्पर्य यह कि बिल की जितनी रकम ईएमआई में बदली जाती है, आमतौर बैंक उतनी राशि की कार्ड लिमिट को अस्‍थायी तौर पर घटा देते हैं, जो ईएमआई के भुगतान के साथ धीरे-धीरे बढ़ती रहती है।

बताया जाता है कि आमतौर पर बैंक इसके लिए 3 महीने से 2 साल का समय देते हैं, जो कि अच्छी बात है। उदाहरण के तौर पर, अगर आपकी क्रेडिट कार्ड की लिमिट 1,00,000 रुपए है और आप 80,000 रुपए मूल्य की कोई भी वस्तु खरीदते हैं, और इसका भुगतान ईएमआई से करने का विकल्प चुनते हैं तो आपकी क्रेडिट लिमिट 20,000 रुपए कर दी जाएगी। लेकिन जैसे-जैसे आप अपनी निर्धारित किस्तों का भुगतान यथासमय करते जाएंगे, आपकी क्रेडिट लिमिट बढ़ती जाएगी। इस प्रकार देखा जाए तो यह एक अच्छा विकल्प है।

यह बात अलग है कि इस बेहतरीन सुविधा को पाने के लिए आपको कई तरह के चार्ज भी देने होते हैं। मतलब यह कि ईएमआई के जरिये क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करने में किसी भी व्यक्ति को कई तरह के चार्ज भी देने होते हैं। खास बात यह कि ऐसे मौके पर बिल का किस्तों में भुगतान का विकल्प लेने पर आपसे अतिरिक्त ब्‍याज भी वसूला जाता है, जो आमतौर पर ब्‍याज दर लोन की अवधि से जुड़ी होती है। कहने का तातपर्य यह कि ईएमआई अवधि जितनी लंबी होगी, ब्‍याज भी उतना ज्‍यादा ही होगा। रही बात प्रोसेसिंग फीस की तो आपको बता दें कि कुछ बैंक कोई प्रोसेसिंग फीस चार्ज नहीं करते हैं।

जबकि कई बैंक 1 से 3 फीसदी तक की प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं। जहां तक प्रीपेमेंट चार्ज का सवाल है तो आप यह जान लीजिए कि लोन ईएमआई अवधि से पहले पेमेंट करने पर बैंक प्रीपेमेंट चार्ज वसूल सकते हैं। लिहाजा, ऐसे किसी चार्ज को पहले ही देख लेना चाहिए। ताकि बाद में अनावश्यक आर्थिक बोझ नहीं बढ़े।

जहां तक जीएसटी का सवाल है तो जहां आवश्‍यक हो, वहां सभी चार्ज और फीस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी भी लागू होता है। यदि आप ईएमआई से अपने क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान का गणित समझना चाहते हैं तो यह जान लीजिए कि यदि आप ईएमआई का विकल्प चुनते हैं तो आपको इसके लिए हमेशा ही अतिरिक्त ब्याज चुकाना ही होगा।

उदाहरण के लिए, यदि आप तीन महीने की अल्प अवधि को चुनते हैं तो सम्बंधित बैंक आपसे सालाना 20 फीसदी की ब्‍याज दर से चार्ज वसूल सकता है। जबकि, एक साल की अवधि चुनने पर यह दर महज 15 फीसदी भी हो सकती है।

मान लेते हैं कि आपके क्रेडिट कार्ड बिल की रकम 20 हजार है और यदि आप 3 महीने (90 दिन) की अवधि का रिपेमेंट ऑप्‍शन चुनते हैं तो कुल ब्‍याज 986.30 रुपए [20,000 x (20%/365) x 90] बनेगा। वहीं 12 महीने की अवधि चुनने पर ब्‍याज के तौर पर 3,000 रुपए [20,000 x (15%/365) x 365] देना होंगे।

अब सवाल उठता है कि ऐसे में क्या करना चाहिए? तो आप यह जान लीजिए कि इस विकल्‍प को आप तभी चुनें जब आप पैसे की किल्‍लत के कारण ही अपने क्रेडिट कार्ड के पूरे बिल का एक बारगी भुगतान करने में बिल्कुल असमर्थ हैं। मेरी सलाह यही होगी कि आपको केवल इमरजेंसी में ही क्रेडिट कार्ड के बिलों को ईएमआई में बदलवाने के विकल्‍प के बारे में सोचना चाहिए।

कहने का तात्पर्य यह कि ईएमआई का विकल्‍प आप तभी चुनें, जब आपको यह पक्का विश्वास हो जाए कि आप समय से पेमेंट कर देंगे। क्योंकि यदि आप समय से बिल का भुगतान नहीं कर पाते हैं तो यह भी जान लीजिए कि ऐसा न करने पर क्या होता है? दरअसल, समय से क्रेडिट कार्ड का बिल न चुकाने पर बैंक 40 फीसदी तक फाइनेंस चार्ज वसूलता है।

यही नहीं, न्यूनतम बकाया धनराशि का भुगतान न करने पर एक हजार रुपए तक लेट पेमेंट फीस अलग से देनी पड़ती है। जिसका आपके क्रेडिट स्‍कोर पर भी काफी बुरा असर हो सकता है। इसीलिए जहां तक हो सके तो न्यूनतम बकाया धनराशि का भुगतान जरूर कर दें। इससे आपको भविष्य में लाभ ही होगा, हानि नहीं।

-कमलेश पांडेय

(वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार)

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