तेहरान। ईरान में पांच हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारियों को सजा-ए-मौत सुनाई गई है। ज्यूडिशियरी डिपार्टमेंट की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, 11 लोगों को कैद का भी ऐलान किया गया है। इनमें 3 बच्चे शामिल हैं। दो महीने पहले पैरामिलिट्री के सैनिक रुहोल्लाह अजामियान की मौत उस वक्त हो गई थी, जब वो प्रदर्शनकारियों को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे थे। तब यह प्रदर्शन हादिस नजाफी नाम की एक महिला प्रदर्शनकारी की पुलिस के हाथों हुई मौत के विरोध में हुए थे। नजाफी हिजाब विरोधी प्रदर्शन का बड़ा चेहरा थीं।
ईरान में 16 सितंबर को मॉरेलिटी पुलिस की कस्टडी में 23 साल की स्टूडेंट महसा अमिनी की मौत हो गई थी। उसे पुलिस ने हिजाब न पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया था। अमिनी की मौत के बाद हिजाब और सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हुए। 300 लोगों की मौत हो चुकी है और ये अब भी जारी हैं।
प्रवक्ता ने भी की सजा की पुष्टि
लॉ डिपार्टमेंट के स्पोक्स पर्सन मसूद सेतयाशी ने पांच लोगों को सजा-ए-मौत और 11 लोगों को कैद की सजा सुनाए जाने की पुष्टि की। उन्होंने कहा- सैनिक की मौत का केस 11 लोगों पर शुरू किया गया था। इसके बाद चार और लोगों के नाम केस में जोड़े गए। सरकारी वेबसाइट ने सजा की पुष्टि की, लेकिन यह नहीं बताया कि किस दोषी को कितनी सजा सुनाई गई है।
जिस दिन यह घटना हुई, उस महसा अमिनी की मौत के 40 दिन हुए थे। स्थानीय परंपरा के मुताबिक, यह शोक का दिन होता है। इसी दिन बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसी दिन हादिस नजाफी और सैनिक की मौत भी हुई थी। सैनिक की हत्या के आरोप में ही इन लोगों को दोषी ठहराया गया और अब सजा का ऐलान किया गया है।
अब तक 300 लोगों की मौत
ईरान की कट्टरपंथी सरकार ने अब तक यह नहीं बताया है कि हिजाब विरोधी प्रदर्शनों में अब तक कितने लोगों की मौत हुई है। हालांकि, वर्ल्ड मीडिया रिपोर्ट्स दावा करती हैं कि अब तक 300 लोग मारे जा चुके हैं और करीब 5 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
16 सितंबर से शुरू हुए प्रदर्शन अब तक जारी हैं और सरकार इन्हें कुचलने के लिए हर रास्ता अपना रही है। हाल ही में खबर आई थी कि प्रदर्शनकारियों से परेशान सरकार ने मॉरल पुलिस डिपार्टमेंट बंद करने का फैसला किया है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।
कैसे शुरू हुआ आंदोलन?
- 13 सितंबर को 22 साल की महसा अमिनी अपने परिवार से मिलने तेहरान आई थी। उसने हिजाब नहीं पहना था। पुलिस ने तुरंत महसा को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के 3 दिन बाद, यानी 16 सितंबर को उसकी मौत हो गई। इसके बाद मामला सुर्खियों में आया।
- सरकार की मॉरल पुलिसिंग के खिलाफ युवाओं ने गरशाद नाम का मोबाइल ऐप बना लिया है। इस ऐप को अब तक करीब 20 लाख लोग डाउनलोड कर चुके हैं। युवा इसके जरिए सीक्रेट मैसेज चला रहे हैं। इसे देखते हुए तेहरान में मोबाइल इंटरनेट बंद है। हालांकि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद सरकार विरोधी प्रदर्शन कम नहीं हो रहे हैं।
- ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमिनी गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद ही कोमा में चली गई थी। उसे अस्पताल ले जाया गया। परिवार का कहना है कि महसा को कोई बीमारी नहीं थी। उसकी हेल्थ बिल्कुल ठीक थी। हालांकि उसकी मौत सस्पीशियस (संदिग्ध) बताई जा रही है। रिपोर्ट्स में कहा गया- महसा के पुलिस स्टेशन पहुंचने और अस्पताल जाने के बीच क्या हुआ यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। ईरान में हो रहे ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन पर नजर रखने वाले चैनल ने कहा कि अमिनी की मौत सिर पर चोट लगने से हुई।