नई दिल्ली। जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल होने के एक दिन बाद कांग्रेस की अंदरूनी कलह को लेकर एक बार फिर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इस बीच पार्टी के सीनियर लीडर कपिल सिब्बल ने जितिन प्रसाद जैसा कदम उठाने, यानी BJP में जाने की बात से साफ इंकार कर दिया है। सिब्बल ने यहां तक कह दिया है कि ऐसा उनके मरने के बाद ही हो सकता है। सिब्बल ने कहा है कि कांग्रेस लीडरशिप अगर उनसे पार्टी छोड़ने को कहे तो वे इस बारे में तो सोच सकते हैं, लेकिन बीजेपी में कभी नहीं जाएंगे।
हालांकि सिब्बल ने जितिन के फैसले को तो ‘प्रसाद राम पॉलिटिक्स’ बताया है। उनका कहना है कि यह विचारधारा के चलते नहीं बल्कि निजी फायदे के लिए लिया गया फैसला है। लेकिन सिब्बल ने एक तीर से दो निशाने साधते हुए एक बार फिर पार्टी आलाकमान को संदेश दिया है कि अब उनकी बात सुनने का समय है।
सिब्बल का यह कमेंट इसलिए मायने रखता है क्योंकि, सिब्बल कांग्रेस के उन 23 सीनियर लीडर्स (G-23) में शामिल हैं जिन्होंने पिछले साल सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव करने की जरूरत बताई थी। इन नेताओं में जितिन प्रसाद भी शामिल थे। ऐसे में प्रसाद के BJP में जाने से ये अटकलें शुरू हो गई हैं कि क्या कांग्रेस के असंतुष्ट G-23 में से कोई और भी BJP में जा सकता है?
सिब्बल ने कहा- कांग्रेस में सुधारों की सख्त जरूरत
सिब्बल ने कहा है कि कांग्रेस में सुधारों की सख्त जरूरत है और पार्टी लीडरशिप को अब सुनना होगा। यह समझ से परे था कि जितिन प्रसाद जैसा व्यक्ति BJP में शामिल होगा। अगर मुद्दों का समाधान होने के बावजूद किसी को लगता है कि उसे कुछ नहीं मिल रहा तो वह चला जाएगा। जितिन के पास भी पार्टी छोड़ने के कारण हो सकते हैं। इसके लिए मैं उन्हें गलत नहीं ठहरा रहा बल्कि जिस वजह से वे BJP में गए हैं उसके लिए दोष दे रहा हूं।
सिब्बल ने कहा कि मुझे भरोसा है कि लीडरशिप को समस्याओं के बारे में पता है और उम्मीद है कि वे सुनेंगे। क्योंकि बिना सुने कुछ भी नहीं चल सकता। कोई कॉरपोरेट स्ट्रक्चर बिना बात सुने सर्वाइव नहीं कर सकता। राजनीति में भी ऐसा ही है। अगर आप नहीं सुनेंगे तो आपके बुरे दिन शुरू हो जाएंगे।
MP कांग्रेस का ट्वीट- जितिन का जाना कूड़े का कूड़ेदान में जाने जैसा
हालांकि मध्यप्रदेश कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से बाद में ये ट्वीट हटा दिया गया, लेकिन जितिन प्रसाद ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि छोटी सोच वाले लोग छोटे ही रहते हैं। हर कोई आलोचना करने के लिए आजाद है। मैं हर आलोचना को प्रसाद समझकर स्वीकार करूंगा। मुझे भरोसा है कि मेरा फैसला सही है और देशहित में है।