एक साथ तीन देशों से तनावभरे हालात, भारत को बनानी होगी नीति

नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प की यह घटना इस लिहाज से असाधारण है क्योंकि 45 सालों बाद पहली बार सीमा विवाद में एलएसी पर ऐसी घटना हुई है। भारतीय सेना की ओर से दिन में गलवन घाटी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हुई झड़प में भारत के एक सैन्य अफसर और दो जवानों की शहादत की बात कही गई। साथ ही भारतीय सेना ने चीनी पक्ष के भी इसमें हताहत होने की बात कही। देश के इतिहास में संभवत: यह पहला मौका है जब एक साथ तीन पड़ोसी देशों के साथ सैन्य तनाव चल रहा है। पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर लगातार स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और तीन महीनों से अकारण ही पाकिस्तान की तरफ से किसी न किसी सेक्टर में गोलीबारी की जा रही है।

चीन के साथ लद्दाख से ले कर सिक्किम तक की लंबी सीमा पर कई सेक्टर पर दोनो देशों की सेनाएं आमने-सामने है। लिपुलेख, कालापानी व लिंपियाधुरा को लेकर नेपाल के साथ सीमा विवाद ना सिर्फ चरम पर पहुंच गया है बल्कि पिछले शुक्रवार को नेपाली सैन्य बल ने सारी परंपराओं को दरकिनार करते हुए सीतामढ़ी सीमा पर भारतीयों पर गोलीबारी कर दी जिसमें एक की मौत हो गई और दो भारतीय गंभीर तौर पर घायल हो गये। जानकारों की मानें तो भारतीय कूटनीति की कड़ी परीक्षा का यह समय है जब उसे अपने तीन पड़ोसी देशों के साथ अलग अलग स्तर पर विमर्श करना पड़ रहा है।

भारतीय कूटनीतिकारों के मुताबिक चीन के साथ खूनी सैन्य झड़प होना कई मायने में चिंताजनक है। सबसे पहली बात तो यह है कि भारतीय सेना को अब पाकिस्तान से लगे पूर्वी पाकिस्तान की तरफ अब चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर भी ज्यादा सतर्क रहना होगा।

भारत व पाक सेना के बीच गोलाबारी आम बात है और दोनों तरफ से सैन्यकर्मियों के लगातार हताहत होने की खबरें आती हैं। अभी तक चीन के सैनिकों के साथ भारत की सिर्फ हाथापाई होती रही है।

गलवन क्षेत्र में अंतिम बार खूनी झड़प 1975 में हुई थी जब चीन के सैनिकों ने छिप कर भारतीय सैन्य दल पर हमला किया था। तब असम राइफल्स के चार जवान शहीद हुए थे। दूसरी तरफ पूर्वोत्तर राज्यों के साथ चीन के साथ लगी सीमा पर वर्ष 1967 के बाद से कोई खूनी झड़प नहीं हुई है। चीन जिस तरह से समूचे पश्चिमी सेक्टर में आक्रामक होता जा रहा है उसे देखते हुए भारतीय सेना के रणनीतिकारों को अब ज्यादा सक्रिय प्लानिंग करनी होगी।

भारतीय विदेश मंत्रालय को आने वाले दिनों में नेपाल को संभालने के लिए भी खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है। नेपाल के पीएम के पी शर्मा ओली ने हाल के दिनों में भारत के विरोध मोर्चा खोल रखा है। कुछ लोग यह मानते हैं कि ओली ने जिस तरह से लिपुलेख व कालापानी के मुद्दे को हवा देनी शुरू की है उसके पीछे भी चीन का हाथ है। ओली अपने पहले कार्यकाल में भी और मौजूदा कार्यकाल में भी चीन के साथ नये समीकरण बनाने की कोशिश कर चुके हैं। दूसरी तरफ चीन व पाकिस्तान के बीच रिश्ता किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में भारतीय कूटनीति व रणनीतिकारों को अब चीन, पाकिस्तान के साथ ही नेपाल के त्रिकोण को लेकर सामूहिक नीति बनानी पड़ सकती है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एलएसी पर चीन से हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी है। ममता ने ट्वीट कर कहा, मैं उन तीन भारतीय सैनिकों की वीरता को सलाम करती हूं, जो राष्ट्र के लिए गलवां घाटी में सर्वोच्च सेवा करते हुए शहीद हो गए। मेरा दिल इन बहादुर पुरुषों के परिवारों के साथ है। प्रभु उन्हें इस कठिन समय में शक्ति प्रदान करें।

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