एथेनॉल ब्लेंडिंग 2020-2025 के लिए रोडमैप जारी, 3 ई-100 स्टेशनों का भी शुभारंभ

नई दिल्ली। आज विश्‍व पर्यावरण दिवस के पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एथेनॉल को लेकर संबोधित किया। पीएम मोदी एथेनॉल ब्लेंडिंग 2020-2025 के लिए रोडमैप जारी किया। इस नोटिफिकेशन के जरिए भारत की इथेनॉल ब्‍लेंडिंग टॉरगेट को साल 2025 तक 20% करने का ऐलान किया। इस दौरान पीएम ने एथेनॉल को 21वीं सदी की प्राथमिकता बताया। इस साल के कार्यक्रम का विषय बेहतर पर्यावरण के लिए जैव ईंधन को बढ़ावा देना था। पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्रम को संबोधित किया।

एथेनॉल से किसानों को हुई 21 हजार करोड़ रुपए की कमाई
साल 2013-14 में 38 हजार करोड़ लीटर एथेनॉल उपयोग होता था जो अब 320 हजार करोड़ लीटर पर पहुंच गया है। इससे किसानों को 21 हजार करोड़ रुपए की कमाई हुई है। इसके अलावा बीते 7 सालों में सौर उर्जा कैपेसिटी को 15 गुना बढ़ाया है। इसके आलावा इंस्टॉलड रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता के मामले में भारत आज दुनिया के टॉप-5 देशों में आ गया है।

कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि क्लाइमेट चेंज की वजह से जो चुनौतियां सामने आ रही हैं, भारत उनके प्रति जागरूक भी है और सक्रियता से काम भी कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड के विजन को साकार करने वाला इन्टरनेशनल सोलर अलायंस हो, या फिर कोलैबरेशन फॉर डिजास्टर रेजीलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर की पहल हो, भारत बड़े वैश्विक विजन के साथ आगे बढ़ रहा है।

37 करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब उपलब्ध कराए
पीएम मोदी ने कहा कि हमने देश को 37 करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब और 23 लाख एनर्जी एफीशिएंट पंखे उपलब्ध कराए हैं। इसी तरह, उज्ज्वला योजना के तहत गैसों और सौभाग्य योजना के तहत बिजली ने प्रदूषण को कम करने में मदद की है, जिससे महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर हुआ है।

3 ई-100 के वितरण स्टेशनों का शुभारंभ
इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी भारत में 2020-2025 के दौरान एथेनाल ब्लेंडिंग से संबंधित रोडमैप के बारे में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी की। इस मौके पर पीएम पुणे में तीन जगहों पर E 100 के वितरण स्टेशनों की एक पायलट परियोजना का भी शुभारंभ किया।

सरकर ने इसी साल E-100 को दी थी मंजूरी
सरकार ने इसी साल मार्च में एथेनॉल को स्टैंडअलोन ईंधन के रूप में इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। इसके बाद से तेल कंपनियों को सीधे E-100 बेचने की अनुमति मिल गई है। हालांकि इस फ्यूल का इस्तेमाल उन्हीं गाड़ियों में होगा जो E-100 कम्‍पेटिबल होंगी।

2025 तक 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य
सरकार ने अगले दो साल में पेट्रोल में 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग (सम्मिश्रण) का लक्ष्य रखा है इससे देश को महंगे तेल आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। इससे पहले सरकार ने 2030 तक इसे हासिल करने का लक्ष्य रखा था जिसे अब 2025 कर दिया है। पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार तेल कंपनियां भारतीय मानक ब्यूरो के मानकों के अनुरूप 20% एथेनॉल के मिश्रण वाला पेट्रोल बेचेंगी।

क्या होता है एथेनॉल?
एथेनॉल इको-फ्रैंडली फ्यूल है। एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है। एथेनॉल का उत्पादन वैसे तो गन्ने से होता है। एथेनॉल ब्लेंडिंग वाले पेट्रोल से आम आदमी को भी बड़ा फायदा होगा।

एथेनॉल मिलाने से क्या फायदा है?
पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से पेट्रोल के उपयोग से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। इसके इस्तेमाल से गाड़ियां 35% कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करती है। सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन भी इथेनॉल कम करता है। इथेनॉल में मौजूद 35 फीसदी ऑक्सीजन के चलते ये फ्यूल नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को भी कम करता है।

आम आदमी को क्या फायदा होगा?
एथेनॉल मिलावट वाले पेट्रोल से चलने वाली गाड़ी पेट्रोल के मुकाबले बहुत कम गर्म होती हैं। एथेनॉल में अल्कोहल जल्दी उड़ जाता है, जिसके चलते इंजन जल्द गर्म नहीं होता है। इसके अलावा ये कच्चे तेल के मुकाबले काफी सस्ता पड़ेगा। इससे भी महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद है।

किसानों को भी होगा फायदा
एथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। क्योंकि एथेनॉल गन्ने, मक्का और कई दूसरी फसलों से बनाया जाता है। चीनी मिलों को कमाई का एक नया जरिया मिलेगा और कमाई बढ़ेगी। एथेनॉल से किसानों को 21 हजार करोड़ रुपए का फायदा हुआ है।

1972 में मनाया गया था पहला पर्यावरण दिवस
संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वैश्विक स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और चिंता की वजह से विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की नींव साल 1972 में रखी गई। स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में इसकी शुरुआत हुई थी। दुनिया का पहला पर्यावरण सम्मेलन स्वीडन में आयोजित किया गया था जिसमें 119 देश शामिल हुए थे। पहले पर्यावरण दिवस पर भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत की प्रकृति और पर्यावरण के प्रति चिंताओं को जाहिर किया था।

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