नयी दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के नौवें दिन भी राज्यसभा में हंगामा जारी है। आज लगातार दूसरे दिन भी एनआरसी लिस्ट पर सरकार और विपक्ष के बीच घमासान हुआ। उल्लेखनीय है कि सोमवार को नैशनल सिटीजन रजिस्टर में असम में 40 लाख से अधिक अवैध घुसपैठिए चिन्हित किए गये है। आज राज्यसभा में विपक्ष को उत्तर देने के लिए भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह मैदान में उतरे। उन्होने विपक्ष पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि हमारी सरकार में ही वो हिम्मत है जिसने असम समझौते पर काम कर दिखाया। शाह ने विपक्षी सांसदों से पूछा कि 40 लाख घुसपैठियों को कौन बचाना चाहता है।
शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि चर्चा के दौरान कोई यह नहीं बता रहा है कि NRC का मूल कहां है, यह आया कहां से है। उन्होंने कहा, ‘अवैध घुसपैठियों के मुद्दे पर सैकड़ों असम का युवा शहीद हुए। 14 अगस्त 1985 को पूर्व पीएम राजीव गांधी ने असम अकॉर्ड लागू किया था। यही समझौता NRC की आत्मा थी। इस समझौते में यह प्रावधान था कि अवैध घुसपैठियों को पहचानकर उनको सिटीजन रजिस्टर से अलग कर एक नैशनल रजिस्टर बनाया जाएगा। कांग्रेस के पीएम ने यह समझौता किया लेकिन यह पार्टी इसे लागू नहीं कर सकी। हममें हिम्मत थी और इसलिए हमने इसपर अमल किया।’ उन्होंने कांग्रेस सवाल पूछा कि वह क्यों अवैध घुसपैठियों को बचाना चाहती है? शाह के इस बयान के बाद राज्यसभा में शोर-शराबा होने लगा।
असम से बीपीएफ सांसद बिश्वजीत दैमारी ने कहा कि 40 लाख की जो संख्या है वह नहीं बढ़ सकती क्योंकि इसमें नवजात बच्चों तक का नाम शामिल है। उन्होंने कहा कि इसमें देश के बाकी राज्यों को भी असम का सहयोग करना चाहिए। बिश्वजीत ने कहा कि किसी भी भारतीय का नाम लिस्ट से नहीं हटाया गया है और इन 40 लाख लोगों पर कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा, यह पहले से तय है। किरण रिजिजू ने कहा कि पूर्वोत्तर से रोहिंग्या यहां नहीं आए और उनकी एंट्री नहीं हो सकी क्योंकि सरकार काफी सख्त रही। उन्होंने कहा कि वह अवैध गतिविधियों जुड़े हैं लेकिन उसकी विस्तृत जानकारी यहां देना उचित नहीं है।
कांग्रेस के सदस्य शोरगुल करते हुए चेयरमैन के आसन तक पहुंच गए। भारी शोर-शराबे के कारण कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। लगातार शोरगुल के बाद चैयरमैन ने राज्यसभा की कार्यवाही पहले 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। दोबारा कार्यवाही शुरू होने के बाद फिर कांग्रेस के सदस्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इसके बाद चेयरमैन ने दिनभर के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी। माना जा रहा है कि विपक्ष इस मसले पर आगे भी हंगामा जारी रख सकता है। सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जोरदार तरीके से विरोध करके अपनी मंशा जाहिर कर दी थी। ममता के समर्थन में कई अन्य विपक्षी पार्टियां भी आ गयी हैं जिससे सरकार को संसद चलाने मे नाकों चने चबाने पड़ सकते है।