कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बिकरू गांव में 3 जुलाई को एनकाउंटर हुआ था। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के इस केस की जांच के लिए अब स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया गया है। इसी बीच विकास दुबे के द्वारा किए गए खुलासे को लेकर हडकंप मचा हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनकाउंटर से पहले विकास दुबे ने कई बड़े राज खोले हैं। एसटीएफ के पास इसका वीडियो भी है जिसके आधार पर ईडी जांच कर रही है।
बताया जा रहा है कि विकास दुबे ने कानपुर के चार बड़े कारोबारियों, 11 विधायकों, दो मंत्रियों से खुद के घनिष्ठ संबंध होने की बात कबूल की है। उसने यह भी बताया है कि उसने 50 से ज्यादा पुलिस अफसरों और कर्मचारियों के नाम भी बताए जो विकास की मदद करते थे।
सीओ की हत्या चिढ़ में की
विकास दुबे ने बताया कि शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र से उसकी बनती नहीं थी, सीओ उसे लंगड़ा कहते थे। यह बात विकास को बहुत अखरती थी कि उसके इलाके में कोई उसकी इस तरह बेइज्जती कैसे कर सकता है। उसने बताया कि सीओ को मारने का उसने इरादा बना लिया था लेकिन घटना इतनी बड़ी हो जाएगी इसका उसे भी अंदाजा नहीं था। हालांकि उसे अपने लोगों पर भरोसा था कि वो लोग विकास को बचा लेंगे।
बता दें कि विकास को 9 जुलाई को उज्जैन में महाकाल मंदिर में गार्ड ने पकड़ा था। उसे लाने के लिए यूपी एसटीएफ उज्जैन पहुंची और वापस आते समय कानपुर से 17 किमी पहले भौंती में पुलिस की गाड़ी पलट गई। इस दौरान विकास ने भागने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस मुठभेड़ में उसे गोली लग गई और मारा गया।
बता दें कि विकास दुबे केस की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है । उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया गया है। अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा और पुलिस उप महानिरीक्षक जे रवींद्र गौड़ को सदस्य बनाया गया है। लेकिन एसआईटी टीम में शामिल डीआईजी जे रवींद्र गौड़ को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि डीआईजी जे रवींद्र गौड़के खिलाफ ही फर्जी एनकाउंटर का आरोप है। इस केस में उनके खिलाफ सीबीआई जांच भी चल रही है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 30 जून 2007 को बरेली में हुए एक एनकाउंटर में दवा के कारोबारी मुकुल गुप्ता को पुलिस ने मार गिराया था।
पुलिस का आरोप था कि मुकुल अफने दोस्त पंकज सिंह के साथ एक बैंक लूटने जा रहा था। जबकि इसके उलट मुकुल के पिता ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि प्रमोशन के लिए उनके बेटे की हत्या की गई है।
मुकुल के पिता की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। बता दें कि साल 2015 में मुकुल के पिता और मां की भी हत्या कर दी गई। इसके बाद सीबीआई ने मुकुल की हत्या में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को उसके पिता और मां की हत्या की जांच के दायरे में ले लिया।