नई दिल्ली। कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए लोन के ऐलान को लेकर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई को लेकर केंद्र के दो नेता नितिन गडकरी और निर्मला सीतारमण के परस्पर विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि दोनों नेता पहले अपनी बातों से स्पष्ट करें फिर एमएसएमई को राहत संबंधी कार्यों पर ध्यान दें।
पी. चिदंबरम ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि मंत्री गडकरी कहते हैं कि सरकारों और सार्वजनिक उपक्रमों पर एमएसएमई का 5 लाख करोड़ रुपये का उधार है, जिसे दिए जाने की योजना बन रही है। वहीं बीते दिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जी ने ऐलान किया कि सरकार एमएसएमई को तीन लाख करोड़ रुपये का जमानत मुक्त ऋण देगी। ऐसे में सवाल उठता है कौन ऋणदाता है और कौन उधारकर्ता है? क्योंकि एक मंत्री के अनुसार सरकार पर ही उधार है, जबकि दूसरी मंत्री एमएसएमई को ऋण देने की बात करती हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर सरकार लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम के बकाया राशि का ही भुगतान कर दे तो यह सेक्टर काफी हद तक अपनी समस्याओं का समाधान खोजने में सक्षम है। फिर उसे सरकार की तरफ से मिलने वाले ऋण के मदद की जरूरत ही नहीं होगी। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि केंद्र सरकार के दोनों मंत्री पहले अपनी-अपनी बातों का हल निकालें।
उल्लेखनीय है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ रुपये के लोन का ऐलान किया, जो 45 लाख एमएसएमई को मिलेंगे। इसके लिए उन्हें कोई गारंटी नहीं देनी पड़ेगी और ना ही इस पर कोई शुल्क या फीस होगा। सरकार की इस मदद से एमएसएमई की खस्ताहाल स्थिति में काफी सुधार होगा।