नेपाल के एक शेरपा ने माउंट एवरेस्ट के डेथ जोन में फंसे मलेशिया के एक पर्वतारोही की जान बचाई है। 8 हजार फीट की ऊंचाई पर शेरपा ने पर्वतारोही की जान बचाई। उसे बेस कैंप ले जाने के लिए पीठ पर बांधी और 6 घंटे तक चलते रहे।
नेपाल सरकार ने इस सीजन में 478 लोगों को एवरेस्ट चढ़ने के लिए मंजूरी दी है। एवरेस्ट फतह के दौरान इस साल 12 पर्वतारोही जान गंवा चुके हैं। 2021 में 409 लोगों को परमिट मिला था।
पर्वतारोही को बचाने के लिए अपना मिशन छोड़ दिया
18 मई को 36 साल के गेल्जा शेरपा चीनी पर्वतारोहियों को एवरेस्ट के शिखर की ओर ले जाने के मिशन पर थे। इस दौरान उनकी नजर एक मलेशियाई पर्वतारोही पर पड़ी। जो 8 हजार मीटर की ऊंचाई पर भयानक ठंड में रस्सी से लटका हुआ था। उसे बचाने के लिए शेरपा ने मिशन बीच मे छोड़ दिया।
गेल्जा शेरपा ने कहा कि मैंने क्लाइंट्स को एवरेस्ट पर ले जाने का फैसला टाल दिया ताकि मैं वहां पर फंसे हुए पर्वतारोही की जान बचा कर उसे नीचे ला सकूं।
इसके बाद मैंने एक साथी शेरपा नगीमा ताशी की मदद से पर्वतारोही को स्लिपींग मैट में लपेटकर बांध दिया। इसके बाद 6 घंटे तक पीठपर लादकर और बीच-बीच में बर्फ पर घसीटकर 7,162 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कैंप-3 तक लाया। प्रवतारोही को वहां से हेलीकॉप्टर से एयरलिफ्ट करके बेस कैंप तक ले जाया गया।
एवरेस्ट पर 8 हजार मीटर से ज्यादा ऊंचाई यानी डेथ जोन…रेस्क्यू असंभव
माउंट एवरेस्ट पर 8 हजार मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित हिस्से को डेथ जोन कहा जाता है, जहां पर बचाव कार्य बेहद मुश्किल होता है। वहां पर वातावरण में ऑक्सीजन कम होती है और वहां पर ऑक्सीजन सपोर्ट के बिना जिंदा रहना काफी मुश्किल होता है।
नेपाल के पर्यटन विभाग के अधिकारी बिज्ञान कोईराला का कहना है कि इतनी ऊंचाई पर किसी भी पर्वतारोही का रेस्क्यू असंभव है। यह बेहद दुर्लभ ऑपरेशन है। गेल्जा शेरपा का कहना है कि किसी की जान बचाना, मंदिर में पूजा करने से बड़ा काम है।