लेखक -अजित वर्मा
पिछले दिनों, दिल्ली-राजधानी क्षेत्र में मूसलधार बारिश के बीच गाजियाबाद के वसुंधरा में जमीन धंस गई, जिससे उस रास्ते पर भी लंबा जाम लग गया। जमीन धंसने के बाद प्रशासन ने सुरक्षा के देखते हुए प्रज्ञा कुंज और वार्तालोक के करीब 50 फ्लैटों के साथ मेवाड़ कॉलेज को भी खाली करा दिया। अधिकारियों के अनुसार बालाजी बिल्डर्स ने वार्तालोक सोसाइटी के पास पिछले कई सालों से प्रोजेक्ट को लेकर खुदाई शुरू की थी। जिसे आज तक पूरा नहीं किया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बाद भी पुलिस प्रशासन और जीडीए ने बिल्डर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि पहले भी कई दफा सड़क धंसने की सूचना प्रशासन को दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। भारी बारिश की वजह से मिट्टी कट गई और ये हादसा हुआ।
दरअसल, बारिश की वजह से वसुंधरा में दो जगह जमीन धंस गई। दोनों जगह जमीन करीब 30-30 फीट गहरी जमीं धंसी।
बालाजी बिल्डर्स का मालिक वही सचिन दत्ता है। जिसने सच्चिदानंद नाम से साधु बनने का स्वांग करके निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनने का निर्णय लिया था, और विवाद के बाद डिस्कोथिक और पब के साथ रियल एस्टेट कारोबारी सचिन दत्ता से उसकी संन्यासी की पदवी छीन ली गई थी।
इसके कुछ दिन तेज बारिश की वजह से ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर कोतवाली क्षेत्र के मुबारकपुर गांव में एक तीन मंजिला इमारत भरभरा कर गिर गई थी। समय रहते हुए मकान में रह रहे सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। ये मामले बिल्डरों द्वारा किये जाने वाले घपले और लूट से अलग तकनीकी चूकों और गुणवत्ता से समझौता किये जाने के हैं। सचिन दत्ता जैसे लोगों को रेरा का भी भय नहीं होता। वे जानते हैं और मानते हैं कि कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता क्योंकि नेता और अफसर न केवल उनके बगलगीर बल्कि कई बार साझेदार भी होते हैं। रेरा लागू करके एक उपाय किया गया है। और हम मानते हैं कि जरूरी हो तो सचिन दत्ता जैसे लोगों से निपटने के लिए उसका दायरा बढ़ाया जाना चाहिए।