ओवैसी की काट के लिए सपा-कांग्रेस ने तैयार की मास्टर प्लान, देंगे चुनौती

लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है। वोट बैंक को साधने के साथ-साथ दूसरे के गढ़ में सेंधमारी भी शुरू हो गई है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बार यूपी चुनाव में 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। एआईएमआईएम के यूपी के चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस, सपा और बसपा की टेंशन बढ़ गई है।

सपा-कांग्रेस को ओवैसी का डर

असदुद्दीन ओवैसी भले ही उम्मीदवार 100 सीटों पर उतार रहे हों लेकिन उनके निशाने पर मुस्लिम बाहुल विधानसभा सीटें हैं। बसपा, सपा और कांग्रेस यूपी में मुस्लिम वोट बैंक का खुद को दावेदार बता रही हैं। हालांकि इन तीनों में सपा का पलड़ा ज्यादा भारी है। इन तीनों राजनीतिक दलों को इस बात का डर है कि कहीं ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने में सफल हो गई तो बेड़ा गर्क हो जाएगा।

जन भागीदार संकल्प मोर्चा‘ के साथ ओवैसी

एआईएमआईएम यूपी चुनाव सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर के संरक्षण में बनी ‘जन भागीदार संकल्प मोर्चा’ के साथ मिलकर लड़ेंगे। ओवैसी और उनकी पार्टी को बैकफुट पर ढकेलने के लिए सपा और कांग्रेस ने प्लान तैयार कर लिया है। कांग्रेस असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को बीजेपी की ‘बी’ कहती चली आ रही है। वहीं सपा उसे ‘वोटकटवा’ पार्टी कहती है। यह सिलसिला चुनाव प्रचार के दौरान भी जारी रहेगा।

सपा और बसपा के साथ ही कांग्रेस मुस्लिम मतदाताओं को यह संदेश देने की कोशिश करेंगी कि ओवैसी की पार्टी को दिया उनका वोट एक तरह से भाजपा के खाते में ही जा रहा। समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को इस काम में लगा दिया है कि वे सोशल मीडिया के जरिए इस बात का प्रचार करें कि ओवैसी की एआईएमआईएम कैसे वोट कटवा पार्टी है और भाजपा को फायदा ​पहुंचाने के लिए चुनाव लड़ रही है।

एआईएमआईएम के निशाने पर हैं कानपुर की ये तीन सीटें

असदुद्दीन ओवैसी कानपुर की आर्यनगर, कैंट और सीसामऊ विधानसभा सीट पर प्रत्याशी उतारने के तैयारी कर रहे हैं। तीनों ही सीटें मुस्लिम बहुल इलाके की हैं, जिसमें दो सीटों पर सपा और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कानपुर में क्लीन स्वीप करने का दावा किया था लेकिन कैंट विधानसभा सीट से कांग्रेस के सुहैल अंसारी ने जीत दर्ज की थी। वहीं सीसामऊ विधानसभा सीट से एसपी के इरफान सोलंकी जीते थे। आर्यनगर विधानसभा सीट से सपा के अमिताभ वाजपेई जीते थे।

सपा-कांग्रेस ने ओवैसी के लिए बनाया खास प्लान

इस तरह कानपुर की 10 विधानसभा सीटों में से 7 सीटें ही भाजपा के खाते में आ सकी थीं।  ये तीनों ही सीटें मुस्लिम बहुल इलाके की हैं। सपा और कांग्रेस को डर है कि यदि आवैसी इन सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगे तो मुस्लिम वोटर बंट जाएगा। इसमें सपा और कांग्रेस का सबसे बड़ा नुकसान होगा।

मुस्लिम वोटरों का बंटवारा होने से इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। इसी तरह उत्तर प्रदेश की अन्य सीटों पर भी जहां मुस्लिम मतदाता ज्यादा हैं, ओवैसी असर डाल सकते हैं ऐसा सपा और कांग्रेस को लगता है। इसलिए कांग्रेस ओवैसी को भाजपा की ‘बी टीम’ और सपा ‘वोट कटवा’ साबित कर मुस्लिमों को एकजुट रखना चाहेंगी।

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