मुम्बई। करीब एक सप्ताह से कंगना रनौत और शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत आमने-सामने हैं। ये दोनों एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। न तो कंगना चुप हो रही है और न ही शिवसेना। दोनों एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
शिवसेना कंगना को ‘पीओके’ (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) वाले बयान पर घेरे हुए हैं तो वहीं कंगना बाबर, अयोध्या और जय श्रीराम जैसे बयान देकर मामले को राजनीतिक सरगर्मी बढ़ाए हुए हैं। कुल मिलाकर दोनों इस मामले को ठंडा नहीं करना चाह रहे हैं।
लेकिन इस मामले में महाराष्ट्र बीजेपी शांत है। कंगना के पीओके वाले बयान से पहले उनके समर्थन में खड़ी बीजेपी अब चुप्पी साधे हुए है। इस बयान से पहले महाराष्ट्र बीजेपी के नेता खुलकर कंगना के समर्थन में बोल रहे थे पर पीओके वाले बयान के बाद बीजेपी बैकफुट पर आ गई है।
कंगना ने शिवसेना सांसद संजय राउत की आलोचना करते हुए मुंबई को ‘पीओके’ (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) बता दिया। फिर क्या कंगना के इस बयान ने पिछले एक हफ्ते से चले आ रहे इस विवाद में आग में घी की तरह से काम किया।
लेकिन, कंगना के बयानों का समर्थन कर रहे महाराष्ट्र्र बीजेपी ने अचानक से चुप्पी साध ली। हालांकि, महाराष्ट्र्र के बाहर बीजेपी नेता अभी भी सोशल मीडिया पर कंगना का समर्थन कर रहे हैं।
दो दिन पहले जब बीएमसी ने जब कंगना रनौत के आफिस में तोडफ़ोड़ की तो शिवसेना की देशव्यापी आलोचना हुई। एक बार सबको लगा कि शिवसेना इस मामले को अब तूल नहीं देगी और डैमेज कंट्रोल करेगी। पर ऐसा नहीं हुआ। शिवसेना अब भी मोर्चा खोले हुए है।
सवाल उठता है कि आखिर शिवसेना कंगना के बयानों को इतनी तवज्जों क्यों दे रही है? तो क्या कंगना और शिवसेना दोनों अपना राजनीतिक हित साध रहे हैं? इस विवाद में किसको फायदा हो रहा ये देखना दिलचस्प है।
इस विवाद में बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई की चुप्पी से स्पष्ट है कि वह जानती है कंगना का समर्थन कर उसे नुकसान हो सकता है।
बीजेपी को एहसास है कि कंगना की मुखरता उसे नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए बीजेपी इस मामले से दूरी बनाए हुए है। वहीं शिवसेना इस मामले को तूल देकर कुछ मामलों में कामयाब होती दिख रही है।
तीन सितंबर को कंगना ने ‘न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की एक खबर ट्विटर पर साझा की और शिवसेना के संजय राउत की आलोचना की थी। उन्होंने मुंबई की तुलना पीओके से भी कर दी। फिर क्या कंगना के समर्थन में मुंबई के विधायक राम कदम, पूर्व प्रवक्ता अवधूत वाघ जैसे बीजेपी के लीडर्स आ गए।
लेकिन, ट्विटर पर आमची मुंबई हैशटैग वायरल होने के बाद से तस्वीर बदल गई। राजनीति और मनोरंजन जगत की कई प्रमुख हस्तियों ने कंगना के बयान की निंदा की और मुंबई की तारीफ की। बीजेपी नेता राम कदम ने कंगना की तुलना झांसी की रानी से की और ऐसे में लोगों का रुख बीजेपी के खिलाफ होना शुरू हो गया।
बीजेपी नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री आशीष शेलार ने तत्काल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और स्पष्ट किया है कि बीजेपी कंगना के कमेंट से सहमत नहीं है, लेकिन, पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद परवेश साहिब सिंह वर्मा समेत महाराष्ट्र से बाहर के बीजेपी नेता अभी भी कंगना के समर्थन में हैं।
जानकारों का कहना है कि इसकी वजह से महाराष्ट्र बीजेपी की राज्य में एक नकारात्मक छवि बन रही है। अगर बीजेपी की छवि मुंबई में खराब होती है तो इससे शिवसेना को फायदा होगा।
चूंकि, मुंबई महानगरपालिका के चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं, ऐसे में कई राजनीतिक विश्लेषकों को लगता है कि अगर बीजेपी की यह नकारात्मक छवि बनी रहती है तो इसका फायदा शिवसेना को होगा। शिवसेना नेता संजय राउत ने भी एक साक्षात्कार में यही बात कही है।
संजय राउत ने कहा कि भाजपा उन्हें सपोर्ट कर रही है जो महाराष्ट्र का सम्मान नहीं करता। किसी भी राजनीतिक नेता को ऐसे शख़्स का सपोर्ट नहीं करना चाहिए जो महाराष्ट्र का सम्मान ना करता हो।
उन्होंने कहा कि अगर भाजपा अभी राज्य में सत्ता में होती तो तस्वीर कुछ और ही होती। अगर कोई नरेंद्र मोदी साहेब, अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस को किसी चैनल पर कुछ बोलता तो उसे तुरंत जेल में डाल दिया जाता। जिन्होंने योगी आदित्यनाथ के कार्टून बनाए या उनके खिलाफ कुछ लिखा उन्हें जेल में डाल दिया गया। ”
वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र दूबे कहते हैें कि कंगना के पीओके वाले बयान का भाजपा विधायक राम कदम ने समर्थन किया, लेकिन बाद में बीजेपी को समझ आ गया था कि ट्विटर ट्रेंड पार्टी के खिलाफ जा रहा है, ऐसे में तत्काल पार्टी को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर स्थिति स्पष्ट की। लेकिन, अब शिवसेना इस मसले को भुनाना चाहती है।
वहीं अन्य राजनीतिक पार्टियों और विश्लेषकों को भी लगता है कि यह मसला बीजेपी की महाराष्ट्र विरोधी छवि बनाने के लिए गढ़ा जा रहा है।