कमला नेहरू सोसायटी केस: कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने मुख्यमंत्री को बोला- थैंक्स

रायबरेली। जिले में कमला नेहरू सोसायटी से जुड़े मामले में योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने पूर्व सांसद दीपा कौल के बेटे विक्रम कौल, सोसायटी के अन्य सदस्यों, तत्कालीन एडीएम और कर्मचारियों समेत 12 के खिलाफ जिला प्रशासन ने कागजात में हेराफेरी कर धोखाधड़ी करने के आरोपों के तहत FIR दर्ज कराया है।

केस दर्ज होने के बाद कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने कहा कि कांग्रेस से जुड़े इस सोसायटी के लोगों ने इतनी बड़ी गलती कर बैठे हैं कि उन्होंने सरकारी दस्तावेजो में हेराफेरी कर डाला है। अदिति सिंह ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद कहना चाहूंगी कि उन्होंने इतना सख्त कदम उठाया।

जमीन मिली थी स्कूल-कॉलेज खोलने के लिए

विधायक अदिति सिंह ने आगे कहा कि जिस तरीके से इस सोसायटी ने इस जमीन को हड़पा है वो गलत है। जिस कार्य के लिए जमीन उनको दी गई थी, वो भी उन्होंने कभी नहीं किया। इनको जमीन मिली थी, लड़कियों के लिए स्कूल-कॉलेज खोलने के लिए आज मैं खुश हूं कि, सोसायटी में जो सारे मेंबर और जो अधिकारी-कर्मचारी हैं सबके नाम FIR हुई हैं।

राजनीति से प्रेरित कदम कहना अनुचित

कांग्रेस का कहना है कि ये राजनीति से प्रेरित मामला है, इस सवाल पर विधायक अदिति सिंह नाराज हो उठीं। उन्होंने कहा कि इसको कैसे कह सकते हैं की ये राजनीतिक मामला है। इसमें तो सारे दस्तावेज हैं। सरकारी दस्तावेजों के साथ हेराफेरी की है तो इसमें कुछ राजनीतिक है ही नहीं। अगर राजनीतिक बनाना होता तो बहुत मामले हैं। ये एक पट्टे पर सरकारी नजूल की जमीन मिली थी जो गलत तरीके से फ्री होल्ड कराई गई।

ADM वित्त ने इन आरोपों के तहत कराया FIR

इस केस अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने शहर कोतवाली में दर्ज कराई है। उनका आरोप है कि ट्रस्ट की जमीन को गलत तरीके से फ्री होल्ड कराया गया। इस मामले में विक्रम कौल, ट्रस्ट के सचिव सुनील देव समेत तत्कालीन एडीएम वित्त मदन पाल आर्य, सब रजिस्ट्रार घनश्याम, प्रशासनिक अधिकारी विंध्यवासिनी प्रसाद, नजूल लिपिक राम कृष्ण श्रीवास्तव, गवाह सुनील कुमार, तत्कालीन तहसीलदार कृष्ण पाल सिंह, प्रभारी कानूनगो प्रदीप श्रीवास्तव, लेखपाल प्रवीण कुमार मिश्रा, नजूल लिपिक छेदी लाल जौहरी समेत 12 लोगों पर सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ और हेराफेरी का केस दर्ज कराया है।

यह है पूरा मामला

दरअसल, सोसायटी को जिला प्रशासन ने 90 के दशक में करीब 5 बीघा नजूल भूमि दी थी लेकिन 2003 में सोसायटी ने अपने नाम जमीन को फ्री होल्ड करा लिया। हालांकि जमीन पर सोसायटी का कब्जा नहीं हो सका। कब्जे के लिए पदाधिकारियों ने कोर्ट की शरण ली। जिसके बाद कोर्ट ने अवैध कब्जा हटवाकर सोसायटी के नाम जमीन करने का आदेश दिया। आदेश के अनुपालन में जिला प्रशासन ने अवैध कब्जेदारों को हटवा दिया लेकिन जमीन सोसायटी को नहीं सौंपी गई। क्योंकि जिन अभिलेखों के दम पर ट्रस्ट के लोग जमीन लेना चाहते थे, उसमें छेड़छाड़ की गई थी।

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