कम समय में सियासत की नई परिभाषा गढ़ गए राजीव गांधी

शबाहत हुसैन विजेता

लखनऊ. देश को 21 वीं सदी का सपना दिखाने वाले राजीव गांधी की आज 31वीं पुण्य तिथि है. संजय गांधी के निधन के बाद राजनीति में दाखिल हुए राजीव गांधी का राजनीतिक सफ़र सिर्फ 10 साल का है. इन 10 सालों में पांच साल उन्होंने बतौर प्रधानमन्त्री काम किया. प्रधानमन्त्री के रूप में राजीव गांधी ने हिन्दुस्तान का डंका पूरी दुनिया में बजवाया. आतंकवाद के खिलाफ उन्होंने लगातार जंग लड़ी. न सिर्फ भारत में बल्कि श्रीलंका में भी शान्ति कायम करने के लिए उन्होंने मदद भेजी.

सियासत में आने से पहले राजीव गांधी पायलेट थे. जहाज़ उड़ाना उनका पेशा भर नहीं था. वह अपने काम को इंज्वाय करते थे. प्रधानमन्त्री बनने के बाद भी उन्हें कई बार जहाज़ उड़ाते हुए देखा गया. अपनी आख़री यात्रा के दिन भी जहाज़ को राजीव गांधी खुद उड़ाकर ले गए थे.

आसमान की ऊंचाइयां राजीव को बहुत पसंद थीं. वह सियासत में आये तो देश को विकास की राह पर आसमान में ही देखना चाहते थे. जब वह सुपर कम्प्यूटर की बात करते थे तब भारत में कम्प्यूटर सपने की तरह हुआ करता था.

राजीव गांधी की कोशिशों से भारत डिज़िटल इण्डिया की तरफ बढ़ा. प्रधानमन्त्री बनने के बाद उन्होंने दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत के आत्मीयता वाले सम्बन्ध बना दिए. अमेठी राजीव गांधी का संसदीय क्षेत्र था लेकिन उसको कभी उन्होंने अपने क्षेत्र की तरह से नहीं देखा. राजीव अमेठी जाते थे तो लगता था जैसे वह अपने घर जा रहे हों. अमेठी का हर दरवाज़ा राजीव गांधी के लिए खुला रहता था.

राजीव गांधी की जंग सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ थी. उनका इकलौता दुश्मन आतंकवाद था. उनकी माँ भी आतंकवाद का शिकार हुई थीं. वह आतंकवाद का पूरी तरह से खात्मा करना चाहते थे. इसी आतंकवाद का वह खुद शिकार हो गए.

लगातार संघर्ष करते हुए उन्होंने बहुत कम समय में उन्होंने तमाम कीर्तिमान स्थापित कर दिए. राजनीति में वह नए थे लेकिन यहाँ भी उन्होंने कीर्तिमान रच दिए. विपक्ष को साथ लेकर चलने का जो हुनर उनके पास था वह सहज दिखता नहीं है. विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि संसद के भीतर विरोध अपनी जगह लेकिन संसद के बाहर न उनका विरोध मैं का सकता हूँ और न ही सुन सकता हूँ.

वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कपूर कहते हैं कि राजीव गांधी को राजनीति में बहुत कम वक्त मिला लेकिन उस कम वक्त में ही उन्होंने इतना कुछ किया कि उन्हें लम्बे अरसे तक याद किया जाता रहेगा. राजीव गांधी निष्कपट थे, साफ़ सुथरे आदमी थे, चालबाज़ नहीं थे. विनम्र थे, आत्मीय थे, मिलनसार थे, जहाँ जाते थे अपना प्रभाव छोड़ जाते थे.

वह कहते हैं कि राजीव गांधी कम्प्यूटर लेकर आये, उन्होंने भारत में टेक्निकल मिशन शुरू किया. कम्युनिकेशन के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी. पीसीओ के ज़रिये हर नागरिक को फोन की सुविधा दे दी.

राजीव गांधी ने पंचायती राज का सपना देखा. प्रधानमन्त्री बनने के बाद पंचायतों को बेहिसाब अधिकार दिए. कम समय में उन्होंने इतने काम किये कि आज भी उन्हें याद किया जाता है.

प्रदीप कपूर उनकी आख़री अमेठी यात्रा का ज़िक्र करना भी नहीं भूलते. वह बताते हैं कि अमेठी में एक घर में नाश्ते का इंतजाम था. मेज़ पर कई चीज़ें थीं लेकिन अन्दर पकौड़ियाँ तली जा रही थीं. बताया गया कि पकौड़ी आ जाएँ तो नाश्ता किया जाए. राजीव गांधी उठे और बोले कि नहीं भाई, बहुत भूख लगी है अब इंतज़ार नहीं. उन्होंने प्लेट में सब लगाकर साथ गए पत्रकारों को दिया, अपने लिए भी निकाला लेकिन सोनिया गांधी के लिए प्लेट नहीं बनाई.

राजीव गांधी को जब याद दिलाया कि सोनिया जी को नहीं दिया तो वह बोले कि नहीं आज मंगल है ना. भारत आने के बाद से सोनिया जी ने मंगल का व्रत शुरू कर दिया था. वह कुछ नहीं खायेंगी. कुछ ही दिन बाद वह शहीद हो गए. तो उनकी आख़री अमेठी यात्रा दिमाग में फिल्म सा गुज़र गई.

समाजवादी चिन्तक सी.पी.राय से राजीव गांधी को लेकर बात हुई तो उन्होंने कहा कि वह राजीव गांधी ही थे जिन्होंने 1984 में देश को 21वीं सदी का सपना दिखाया था. वह राजनीति में नहीं थे. भाई के निधन के बाद देश के लिए राजनीति में आये थे. वह कम्प्यूटर लाये. उन्होंने पंचायत राज का सपना देखा और इस बहाने डॉ. लोहिया के सपने को जिन्दा कर दिया.

सीपी राय कहते हैं कि राजीव गांधी को राजनीति में बहुत कम समय मिला लेकिन दुनिया के तमाम राष्ट्राध्यक्षों ने उन्हें सम्मान दिया. अटल बिहारी वाजपेयी की ज़िन्दगी बचाने के लिए राजीव गांधी ने उन्हें भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए विदेश भेजा. विदेश पहुँच जाने के बाद अटल जी को फोन पर बताया कि उस अस्पताल में डॉक्टर के साथ उनका अपोइंटमेंट है. वह वहां जाएँ, इलाज कराएं और ठीक होने के बाद ही आयें. यह बात उन्होंने कभी किसी को नहीं बताई. अटल जी ने राजीव जी के न रहने पर यह बात सार्वजनिक कर दी.

सीपी राय बताते हैं कि राजीव जी कम्प्यूटर ला रहे थे तो हमने खुद उनका विरोध किया था. हमें लगा था कि कंप्यूटर हज़ारों लोगों का रोज़गार छीन लेगा लेकिन हम गलत साबित हुए. कंप्यूटर ने करोड़ों लोगों को रोज़गार दिया. राजीव गांधी ने देश के लिए जो किया है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन्हें मेरा सलाम है.

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