नई दिल्ली । कश्मीर पंडितों के पलायन की कहानी कहती विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर सियासी घमासान अब भी मचा हुआ है और हर पार्टी यह बताने में जुटी है कि वह हमेशा से विस्थापित हुये कश्मीरी पंडितों की हमदर्द रही है। फिल्म के रिलीज होने के बाद से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके समर्थक कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा के लिये कांग्रेस को निशाना बना रहे हैं।
कांग्रेस ने भाजपा पर पलटवार करते हुये कहा कि वह एक फिल्म की आड़ में अपनी विफलता को छिपा नहीं सकती है।
कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि उन्होंने फिल्म देखी है और यह अधूरे सच को दिखाती है। उनका कहना है कि भाजपा इसे मुद्दा बना रही है।
कांग्रेस ने इस आरोप को खारिज किया है कि वह कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर अस्पष्ट राय रखती है। कांग्रेस का दावा है कि कश्मीरी पंडितों के कल्याण का अधिकांश काम पार्टी ने ही किया है और पार्टी इस मुद्दे से भाग नहीं रही है।
कांग्रेस ने कहा है कि वह कश्मीरी पंडितों के दुख को साझा करती है। पार्टी ने कहा कि इंदिरा गांधी के समय प्रधानमंत्री कार्यालय में कश्मीरी पंडितों को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया। पार्टी द्वारा कश्मीर के मुद्दे पर लिये गये किसी भी फैसले पर माखन लाल फोतेदार जैसे लोगों की राय को अंतिम तक महत्व दिया जाता रहा था।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा, वह राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने पलायन के समय संसद का घेराव किया था और सरकार से आग्रह किया था कि वह पीड़ितों की मदद करे लेकिन किसी ने नहीं सुनी। वह तकलीफ में थे क्योंकि उनका परिवार वहीं से आया था। उस वक्त केंद्र में सरकार किसकी थी ? भाजपा के समर्थन से वीपी सिंह तक सत्ता में थे।
सुरजेवाला ने कहा, 2004 से 2014 तक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान 4,241 आतंकवादियों को मार गिराया गया । उस अवधि में कश्मीरी पंडितों को पीएम पैकेज के रूप में 3,000 नौकरियां दी गयीं, 5,911 ट्रांजिट हाउस बनाये गये जबकि भाजपा के आठ साल के शासन में केवल 520 नौकरियां दी गयीं और 100 ट्रांजिट हाउस बनाये गये। भाजपा सिर्फ पुराने घावों को कुरेद रही है लेकिन कुछ कर नहीं रही है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक लाभ के लिये इस मुद्दे को उठा रहे हैं लेकिन कुछ नहीं कर रहे हैं। फिल्म की रिलीज के बाद से ही कश्मीरी पंडितों का मुद्दा गरमा गया है और प्रधानमंत्री के इस बारे में बोलने के बाद से यह और सुर्खियों में आ गया है।
प्रधानमंत्री ने 15 मार्च को कहा था कि इस तरह की फिल्में बनाने की जरूरत है ताकि लोगों को सच्चाई का पता चल सके।
उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय से देश से सच्चाई छिपाने की कोशिश की जा रही है और लोगों के सामने सच्चाई को सामने लाने के लिये ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्में बनाने की जरूरत है।
भाजपा के एक सांसद ने प्रधानमंत्री के बयान का जिक्र करते हुये कहा, देश के सामने सच को सही रूप में लाया जाना चाहिये। कश्मीर फाइल्स में सच्चाई की जीत हुई है। एक अन्य सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री ने फिल्म की सराहना करते हुये पार्टी के सभी सांसदों से इसे देखने की अपील की।
यह भी पता चला है कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के का बिगुल बजाने वालों ने ही सच्चाई को दबाने की कोशिश की ।
एक भाजपा सांसद ने कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मशाल लेकर चलने वालों ने इस फिल्म को बदनाम करने के लिये एक अभियान शुरू किया है। सच्चाई पेश करने की कोशिश करने वाले व्यक्ति के खिलाफ पूरा इकोसिस्टम सक्रिय है। फिल्म का विश्लेषण करने के बजाय वे लोगों को फिल्म देखने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।