नई दिल्ली। समय से पहले भीषण गर्मी ने कहर बरसाना शुरू कर दिया है। सुबह के समय में पूरवा हवा और उसके बाद दिन भर पछिया हवा के साथ तेज धूप के कारण लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। स्कूली बच्चे, पशुपालक किसान तथा दैनिक मजदूर सबसे अधिक परेशान हैं। बीमार होने वालों की संख्या बढ़ने लगी है, मौसम विभाग ने हिट वेब की चेतावनी जारी की है, ऐसे में सतर्कता ही सबसे बड़ा उपाय है। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा गाइडलाइन जारी कर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
गर्मी के समय क्या करें, क्या नहीं करें-
दोपहर में 12 से तीन बजे के बीच धूप में जाने से बचें, दोपहर में बाहर जाने पर श्रम साध्य कार्यों से बचें, नंगे पांव बहार नहीं जाएं, व्यस्ततम समय के दौरान खाना नहीं पकाएं, खाना पकाने के जगह को पर्याप्त हवादार करने के लिए दरवाजे और खिडकियां खोलें।
शराब, चाय, कॉफ़ी और कार्बोनेटेड शीतल पेय से बचें, जो शरीर को निर्जलित करता है। उच्च प्रोटीन युक्त नमकीन, मसालेदार और तैलीय भोजन से बचें, बासी खाना नहीं खाएं। पार्क किए गए वाहनों में बच्चों या पालतू जानवरों को अकेला नहीं छोड़ें, अनावश्यक गर्मी उत्पन्न करने वाले गरमागरम प्रकाश बल्बों, कंप्यूटर जैसे उपकरणों को गर्मी उत्पन्न करने से बचें।
अगर लू लग जाए तो-
अगर लू (सनस्ट्रॉक) का असर हो जाए तो प्रभावित व्यक्ति के पीड़ित के सर पर पानी डालें एवं गीले कपड़े का उपयोग करें। ऐसे व्यक्ति को ओआरएस, नींबू शरबत या शरीर रिहाइड्रेट करने के लिए उपयोगी कुछ भी पीने के लिए दें। व्यक्ति को तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में लें जाएं। यदि गर्मियों में लगातार शरीर के उच्च तापमान का अनुभव, सिरदर्द, चक्कर, कमजोरी, उल्टी या भटकाव महसूस होने पर एम्बुलेंस की मदद लें।
गर्मी के समय कृषि के लिए क्या करें-
खड़ी फसलों के लिए हल्की और लगातार सिंचाई करें, महत्वपूर्ण विकास की चरणों में सिंचाई की आवृति बढाएं तथा केवल शाम या सुबह के समय ही सिंचाई करें। मिट्टी के नमी बनाए रखने के लिए फसल-अवशेष, तिनका को पॉलिथीन से या गीली घास के साथ ढकें। छिडकाव सिंचाई का उपयोग करें, यदि आपका क्षेत्र गर्मी की लहर से ग्रस्त है तो हवादार आश्रय अपनाएं।
पशुपालन के लिए क्या करें-
पशुपालक अपने मवेशियों को छाया में रखें और उन्हें पीने के लिए पर्याप्त स्वच्छ और ठंडा पानी दें। दोपहर के समय मवेशियों को चराने, खिलाने और उनसे काम लेने से बचें। तापमान कम करने के लिए शेड की छत को तिनकों के साथ ढकें, सफेद रंग से रंगे या गोबर-गीली मिट्टी से लेप या प्लास्टर करें।
शेड में पंखा, वाटर-स्प्रे और फोगर्स का उपयोग करें, अत्याधिक गर्मी के दौरान, पानी का छिड़काव करें और मवेशियों को ठंडा रखने के लिए जल स्त्रोत में ले जाएं। हरी घास, प्रोटीन-वसा युक्त पूरक, खनिज मिश्रण और नमक दें तथा ठंडे समय में उन्हें चरने दें। पोल्ट्री हाउस में पर्दा और उचित हवादार-वेंटिलेशन का उपाय करें।