कहां गए गहलोत के सियासी सिद्धांत : बागियों पर टिकी कांग्रेस की बागडोर

सत्येंद्र शुक्ला

जयपुर। कांग्रेस ने सियासी सिद्धांतों को ताक में रख दिया है। ये सिद्धांत सिर्फ भाषणों में ही रह गए हैं। इस बार कांग्रेस की बागडोर बागियों पर टिकी हुई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव से पहले अपने ही पार्टी के बागियों का विरोध नहीं किया और टिकट को लेकर समझौता कर बैठे। कांग्रेस ने अपनी तीसरी सूची में भी भाजपा से बगावत करने वाली शोभारानी को धौलपुर से प्रत्याशी बनाया है।

यह बात इसलिए बताना जरूरी है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने सियासी सिद्धांतों का हवाला देते हुए पूर्व सीएम भैरो सिंह शेखावत सरकार को बचाने की कहानी सुनाते रहे हैं, जिसमें यह था कि शेखावत जब अमेरिका इलाज कराने गए तो भाजपा के स्थानीय नेताओं ने भाजपा सरकार को गिराने की पेशकश की थी। तब गहलोत पीसीसी चीफ थे और उन्होंने राजनीति के सिद्धांतों की पालना करते हुए सरकार को नहीं गिराया था।

पिछले तीन सालों से अशोक गहलोत अपनी ही पार्टी से बगावत करने वाले सचिन पायलट व उनके समर्थक विधायकों पर कटाक्ष करते आए हैं। चुनाव आए तो समझौता कर बैठे। खुद ही खुलकर बोल रहे हैं, मैंने पायलट समेत उनके किसी भी समर्थक का विरोध नहीं किया है।

कांग्रेस की तीसरी सूची के 19 नामों में 3 नए चेहरे हैं और 11 पुराने विधायकों पर ही भरोसा जताया है। इसमें सरकार को बुरे वक्त में मदद करने वाले गंगापुर सिटी से निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा को और धौलपुर से भाजपा विधायक रहीं शोभारानी कुश्वाह को टिकट दिया है।

शोभारानी ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस का साथ दिया था। पार्टी ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है। कांग्रेस अब तक 8 निर्दलीय विधायकों को प्रत्याशी बना चुकी है।

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