‘मैं आपको गारंटी देकर कह रहा हूं कि 2024 में हम बीजेपी को हरा देंगे। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनाव कांग्रेस पार्टी जीतने वाली है।’
25 अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लद्दाख में यह दावा किया। 2019 लोकसभा चुनाव में 190 सीट ऐसी थीं जिनमें बीजेपी औऱ कांग्रेस की आमने-सामने टक्कर हुई थी। इसी तरह 2014 में 185 सीटों पर बीजेपी और काग्रेस की सीधी टक्कर हुई थी। यानी 2024 में अगर I.N.D.I.A को जीतना है तो कांग्रेस को मजबूत होना होगा।
देश में लोकसभा की कुल 543 सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच 190 सीटों पर सीधी टक्कर हुई। इनमें से 176 सीटें बीजेपी ने जीतीं और सिर्फ 14 सीटें कांग्रेस को मिलीं।
2019 में जिन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस का सीधा मुकाबला था उनमें 134 सीटें ऐसी हैं जहां क्षेत्रीय पार्टियों का दखल यानी I.N.D.I.A लगभग नहीं के बराबर है।
ये सीटें मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, असम, उत्तराखंड, हिमाचल, अरुणाचल, चंडीगढ़ और गोवा की हैं। यानी इन सीटों पर कांग्रेस के मजबूत होने पर ही बीजेपी को हराया जा सकता है।
कमोबेश यही हालत 2014 में भी थी। 2014 में बीजेपी और कांग्रेस के बीच 185 सीटों पर सीधी टक्कर हुई थी। बीजेपी ने 162 और कांग्रेस ने 23 सीटों पर जीत हासिल की थी।
2014 में जिन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था उनमें 141 सीटें ऐसी थीं जहां क्षेत्रीय पार्टियों का दखल यानी I.N.D.I.A लगभग नहीं के बराबर है।
कांग्रेस और बीजेपी के बीच गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा, असम, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हिमाचल, अरुणाचल, चंडीगढ़ और गोवा में सीधी टक्कर है। यहां पर कांग्रेस को छोड़कर I.N.D.I.A के 25 दलों में से किसी का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं है।
इन राज्यों में 131 सीटें ऐसी हैं, जहां पर बीजेपी 50% से ज्यादा वोटों से जीती है। यानी इन सीटों पर भी I.N.D.I.A के बजाय कांग्रेस को जोर लगाना होगा।
2024 लोकसभा चुनावः NDA Vs I.N.D.I.A नहीं, बीजेपी Vs कांग्रेस होगा
NDA मतलब बीजेपी, क्योंकि अकेले 301 सांसद
- बीजेपी की अगुआई वाली NDA में 38 पार्टियां हैं और इनके 329 सांसद हैं। अकेले बीजेपी के 301 सांसद हैं।
- NDA की 37 में से 9 पार्टियों ने 2019 लोकसभा चुनाव में कोई कैंडिडेट ही नहीं खड़ा किया।
- 16 पार्टियों ने कैंडिडेट तो खड़े किए लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सके।
- 7 पार्टियों ने एक-एक सीट जीतीं। इनमें से ज्यादातर पूर्वोत्तर की पार्टियां हैं।
- जैसे मेघालय में एनपीपी, नगालैंड की एनडीपीपी, झारखंड की एजेएसयू, सिक्किम की एसकेएम, एआईएडीएमके, मिजोरम में एमएनएफ और एनसीपी अजित पवार।
- 5 पार्टियों के 22 सांसद हैं। इनमें शिंदे शिवसेना के 13, लोजपा पसुपतिनाथ और लोजपा चिराग पासवान के 6 और अपना दल के 2 सांसद हैं।
- 2019 के चुनाव में बीजेपी का अकेले वोट शेयर 37.7% था। वहीं 37 पार्टियों का 7% है। यानी NDA का कुल वोट शेयर लगभग 45% है।
- इससे साफ है कि NDA में भले ही 38 पार्टियां हैं लेकिन मुख्य पार्टी बीजेपी है।
I.N.D.I.A में कांग्रेस का दबदबा, क्योंकि 141 में 49 सांसद कांग्रेस के
- विपक्षी दल I.N.D.I.A में 28 दल हैं। इनके कुल 141 सांसद हैं। अकेले कांग्रेस के 49 सांसद हैं।
- वहीं 3 पार्टियों के 63 सांसद हैं। इनमें तृणमूल कांग्रेस के 23, डीएमके के 24 और जेडीयू के 16 सांसद शामिल हैं।
- इसके साथ ही 12 पार्टियों के 29 सांसद हैं। इनमें आप, उद्धव शिवसेना, सपा, एनसीपी शरद पवार और लेफ्ट पार्टियां शामिल हैं।
- इसके अलावा 10 पार्टियों का अपना कोई सांसद नहीं है। इनमें राजद, रालोद और पीडीपी जैसी पार्टियां हैं।
- I.N.D.I.A का कुल वोट शेटर करीब 38% है। इसमें से कांग्रेस का सबसे ज्यादा वोट शेयर करीब 20% है।
आंकड़े गवाह, कांग्रेस ही बीजेपी को कमजोर कर सकती है। कांग्रेस तीन दशकों से 30% वोट शेयर हासिल नहीं कर पाई है…
1991 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो कांग्रेस तीन दशकों से कभी भी 30% वोट शेयर हासिल नहीं कर पाई है। 1991 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 36% वोट मिले थे।
यही वाे साल था जब देश में दूसरी पार्टी बीजेपी का उभार हुआ। इस चुनाव में बीजेपी को 20% वोट मिला। दरअसल, यह पहली बार था जब कांग्रेस और जनता पार्टी के बाद बीजेपी को लोकसभा चुनाव में 20% वोट मिले।
1991 और 2019 के लोकसभा चुनाव से जुड़ा एक और रोचक फैक्ट है। 1991 में बीजेपी को 20% वोट और कांग्रेस को 36% वोट मिले। वहीं 2019 में इसका लगभग लगभग ठीक उल्टा हुआ। बीजेपी को 37% वोट मिले और कांग्रेस को 20% वोट मिले।
वहीं 1998 में कांग्रेस और बीजेपी को एक बराबर यानी 26-26% वोट मिले। यानी इससे एक बात तो साफ है कि 2024 में भी मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस ही होने जा रहा है।
2024 जीतने के लिए कांग्रेस को 188 सीटों पर स्ट्राइक रेट 70% तक सुधारना होगा
पॉलिटिकल एक्सपर्ट अभय दुबे कहते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का स्ट्राइक रेट 92% तक था। कांग्रेस का स्ट्राइक रेट न के बराबर था। कांग्रेस को कम से कम 188 सीटों पर अपने प्रदर्शन यानी स्ट्राइक रेट को 50 से 70% तक सुधारना होगा।
यानी कांग्रेस को बीजेपी से कई सारी सीटें छीननी होंगी। वरना 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है। इन सीटों पर I.N.D.I.A में शामिल कोई दूसरी पार्टी उसकी मदद भी नहीं कर पाएगी। यानी सब कुछ कांग्रेस को ही करना है।
वहीं गठबंधन के लिहाज से जो मुश्किल वाले राज्य हैं वहां पर भी गेंद कांग्रेस के ही पाले में है। यहां पर भी कांग्रेस को ही तय करना है कि वह इन राज्यों में सीटें लेने पर जोर देगी या उन्हें दूसरी पार्टियों के लिए छोड़ेगी।
दोनों स्थितियों में यह गठजोड़ कामयाब होगा या नहीं यह कांग्रेस की रणनीति और रवैये पर ही निर्भर करेगा।
कांग्रेस 100 से ज्यादा सीटें जीतेगी तभी बीजेपी को रोका जा सकता है
पॉलिटिकल एक्सपर्ट राशिद किदवई कहते हैं कि साल 2014 और 2019 में जिन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर थी, वहां पर बीजेपी ने 90% सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि इस बार स्थिति थोड़ी अलग नजर आती है। I.N.D.I.A के क्षेत्रीय गठबंधन से कहीं न कहीं कांग्रेस को भी ताकत मिलती नजर आ रही है।
कांग्रेस ने हिमाचल के साथ ही कर्नाटक में विधानसभा चुनाव जीता है। इससे जनता के बीच से टिकाऊ पार्टी का तमगा भी मिलता है। वहीं कुछ राज्यों में कांग्रेस के लिए जो वोट काटने वाली पार्टी थी जैसे सपा की वजह से मध्य प्रदेश और राजस्थान में नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।
इसी तरह आम आदमी पार्टी यानी आप ने कांग्रेस को गुजरात विधानसभा चुनावों में काफी नुकसान पहुंचाया। वहीं पंजाब और दिल्ली में तो उन्होंने कांग्रेस से सत्ता ही छीन ली।
देखा जाए तो गुजरात, पंजाब और दिल्ली को मिलाकर 46 लोकसभा सीट हैं। यानी अगर दोनों पार्टियां साथ आती हैं तो यहां पर 10 से 15 सीटें जीतने की गुंजाइश बन सकती है।
यानी इन वोट काटने वाले पार्टियों के साथ आने से कांग्रेस का रुतबा ही बढ़ेगा। तृणमूल भी पूर्वोत्तर के राज्यों और गोवा में कांग्रेस को नुकसान पहुंचा चुकी है। ऐसे में साथ आने से कांग्रेस को फायदा ही होगा।
यानी तृणमूल के आने से कांग्रेस को 10-15 सीटों पर फायदा मिलेगा। वहीं पश्चिम बंगाल में भी यदि तृणमूल ने कांग्रेस को तीन-चार सीटें दी तो वह उन पर मजबूती से लड़ेगी। वहीं यूपी की 4 से 5 सीटों पर भी कांग्रेस को फायदा होगा।
लोकसभा की 150 सीटें ऐसी हैं जिन पर तृणमूल, जेडीयू, डीएमके, राजद, आम आदमी पार्टी मजबूत हैं। ऐसे में यदि बीजेपी से सीधे मुकाबले वाली सीटों पर कांग्रेस 100 से ज्यादा सीटें जीत लेती हैं तो बीजेपी को रोका जा सकता है।
यानी इस स्थिति में वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और बीजद जैसी पार्टियां अहम होंगी। I.N.D.I.A में शामिल पार्टियों से इनका कोई राजनीतिक बैर भी नहीं है। इसलिए कांग्रेस का जीतना बहुत जरूरी है।
यही वजह है कि कांग्रेस तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव में अपना पूरा जोर लगा रही है। क्योंकि 2019 में यहां की 65 में से 63 सीटों पर कांग्रेस हार गई थी।
यानी अगर कांग्रेस यहां से आधी यानी 30 सीटें भी लाती है तो उसे काफी फायदा मिल सकता है। कांग्रेस 2024 में 100 से ज्यादा सीटें जीतेगी तभी I.N.D.I.A बीजेपी की अगुआई वाली NDA को चैलेंज दे पाएगा।
बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के मजबूत होने से 2024 की लड़ाई मुकम्मल होगी
पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजय कुमार कहते हैं कि I.N.D.I.A गठबंधन चाहे जितना मजबूत हो जाए, लेकिन 2024 की लड़ाई तभी मुकम्मल होगी जब कांग्रेस मजबूती से बीजेपी के खिलाफ खड़ी होगी। अगर आप लोकसभा की 543 सीटों को देखे तो इसमें कांग्रेस ऐसी पार्टी जिसका करीब 200 सीटों पर बीजेपी से सीधा-सीधा मुकाबला है।
बीजेपी की मजबूती भी इन्हीं 200 सीटों से उभर कर आती है। क्योंकि बीजेपी इनमें से 185 से 190 सीटें जीतती है। बाकी बची 350 सीटों में से बीजेपी 100 से 110 सीटें जीतती है। ऐसे में अगर बीजेपी को हराना है तो कांग्रेस को मजबूती से उभर कर आना जरूरी होगी। कांग्रेस के मजबूत होने पर ही 2024 में I.N.D.I.A का फ्यूचर दिखाई पड़ता है।