लखनऊ। उत्तर प्रदेश की आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं और इसके मतदान की तारीखों का ऐलान हो गया है। कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए शुक्रवार को पांच उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है। हालांकि इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने उन्नाव जिले की बांगरमऊ और रामपुर जिले की स्वार सीट पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया था। लेकिन चुनाव आयोग ने स्वार सीट पर फिलहाल उपचुनाव न कराने का ऐलान किया है।
कांग्रेस ने उन्नाव जिले की बांगरमऊ सीट से आरती वाजपेयी को मैदान में उतारा है। तो वहीं, रामपुर जिले की स्वार सीट से हैदर अली खान को टिकट दिया था। शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी के जनरल सेक्रेटरी मुकुल वासनिक प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है। कांग्रेस ने नौगावां सादत से डॉ कमलेश सिंह, बुलंदशहर से सुशील चौधरी, टूंडला सुरक्षित से स्नेह लता, घाटमपुर सुरक्षित से कृपाशंकर को टिकट दिया है जबकि देवरिया से मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार बनाया है।
बुलंदशहर के लिए रालोद ने घोषित किया प्रत्याशी
कांग्रेस के अलावा रालोद ने भी बुलंदशहर सीट के लिए अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है। रालोद ने बुलंदशहर सीट से प्रवीण कुमार सिंह को टिकट दिया है। रालोद इसके अलावा छह सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों का समर्थन करेगी।
तीन नवम्बर को होगा मतदान
यूपी की आठ विधानसभा सीटों में से 7 पर उप चुनाव की तारीखों पर का ऐलान कर दिया है। रामपुर की स्वार सीट पर उपचुनाव की तारीख की घोषणा नहीं की गई है। तीन नवंबर को सात सीटों पर उप चुनाव होगा। बता दें कि 8 सीटों में से 5 सीट पर 2017 में निर्वाचित विधायकों के निधन की वजह से सीटें खाली हुईं थी। वहीं, 2017 विधानसभा चुनाव की बात करें तो 8 में से 6 पर भाजपा का कब्जा था। जिन 8 सीटों पर चुनाव होने हैं, उसमें से 5 विधानसभा सीटों पर 2017 में निर्वाचित विधायक कमल रानी वरुण, पारसनाथ यादव, वीरेंद्र सिरोही, जन्मेजय सिंह, चेतन चौहान का निधन हो चुका है।
जानिए क्यों स्वार सीट पर अभी नहीं होगा उपचुनाव?
रामपुर के स्वार सीट से गलत दस्तावेज लगाने पर सपा नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां की सदस्यता जा चुकी है। अब्दुल्लाह आजम के 6 साल चुनाव ना लड़ने पर रोक लगाने की शिकायत राष्ट्रपति से की गई है। बताया जा रहा है कि जब तक राष्ट्रपति के पास इस मामले में सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक चुनाव नहीं कराया जा सकता है।
अब्दुल्ला आजम के संबंध में उत्तर प्रदेश विधान सभा सचिवालय ने बीते गुरुवार को राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। जिस पर भारत निर्वाचन आयोग से सहमति के बाद उनके चुनाव लड़ने पर रोक का आदेश जारी किया जाएगा। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2018 को अब्दुल्ला आज़म को भ्रष्ट आचरण का दोषी मानते हुए उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी थी। इसे आधार मानते हुए विधानसभा सचिवालय से इस सीट को 16 दिसंबर 2019 से रिक्त घोषित कर दिया गया था।
सिर्फ डेढ़ साल के लिए बन सकेंगे विधायक
यूपी में भाजपा को काबिज हुए लगभग साढ़े 3 साल का वक्त बीत चुका है। ऐसे में अब निर्वाचित विधायकों के पास सदन में बैठने का बहुत ज्यादा मौका नहीं होगा। सभी 8 निर्वाचित विधायक डेढ़ साल से भी कम वक्त के लिए निर्वाचित होंगे। दरअसल, 2022 में यूपी एक बार फिर विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट जाएगा।