काशी विश्वनाथ मंदिर- ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई 25 मार्च को

वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर व ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सोमवार को फिर सुनवाई टल गई। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी ने इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि 25 मार्च तय की है। ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण की अनुमति को लेकर स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र पर सुनवाई होनी है।
वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी के अनुसार सुनवाई की तारीख पर सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के द्वारा अपने कोर्ट और कार्यालय का त्रैमासिक निरीक्षण का निर्णय लिया गया था। इसके चलते सुनवाई नहीं हो पाई। इसी मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की दाखिल निगरानी याचिका पर सुनवाई के लिए जिला जज ओमप्रकाश त्रिपाठी ने 25 मार्च की तिथि मुकर्रर किया है।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के निर्णय के खिलाफ निगरानी याचिका दायर की है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने मुकदमे की सुनवाई करने के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) न्यायालय के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी थी, जिसे सिविल जज ने 25 फरवरी, 2020 को खारिज कर दिया था।
बताते चलें कि वर्ष 1991 में ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से पं.सोमनाथ व्यास, हरिहर पांडेय एवं अन्य ने मुकदमा दायर किया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी एडवोकेट ने 10 दिसंबर, 2019 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से राडार तकनीक से सर्वेक्षण कराने की अपील करते हुए अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था।
ये मुकदमा सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी की अदालत में चल रहा है, जिसमें परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मांग को लेकर सुनवाई विचाराधीन है।

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