नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से कृषि कानून वापस लेने के ऐलान के बाद किसान आंदोलन को समर्थन करने वाली जाट बिरादरी की खाप पंचायतों में भी मतभेद उभर आए हैं। चौबीस खाप और गठवाला खाप के नेताओं का कहना है कि अब इस आंदोलन को समाप्त करते हुए किसानों को घर वापसी कर लेनी चाहिए।
वहीं कई खाप नेताओं ने आंदोलन को जारी रखने का समर्थन करते हुए कहा कि एमएसपी को लेकर अभी संघर्ष चलते रहना चाहिए। बीते एक साल से किसान संगठन यूपी और हरियाणा से लगी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं और इसके चलते कई रास्ते भी जाम हैं।
पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट बिरादरी की खाप पंचायतों ने किसान आंदोलन को खुला समर्थन दिया था, लेकिन पीएम के ऐलान के बाद अलग-अलग सुर देखने को मिल रहे हैं। गठवाला और चौबीस खाप ने जहां आंदोलन खत्म करने की बात कही है तो कुछ और खाप पंचायतों ने संयुक्त किसान मोर्चा की रणनीति का समर्थन किया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद मीटिंग कर फैसला लिया था कि आंदोलन अब भी जारी रहेगा। मोर्चा ने पीएम नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखकर एमएसपी गारंटी कानून समेत 6 मांगों को पूरा करने की बात कही है। मोर्चा का कहना है कि इन मांगों के पूरा होने के बाद ही किसान घर वापसी करेंगे।
पंवार खाप के नेता धर्मवीर सिंह पंवार ने इकनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा कि एक साल के आंदोलन के बाद सरकार ने तीन नए कानूनों को वापस लिया है। अब भी लंबे समय से चला आ रहा एमएसपी का मुद्दा लंबित है। अभी हमारी आधी मांगे ही मानी गई हैं। इसलिए हम संयुक्त किसान मोर्चा के फैसले के साथ हैं कि आंदोलन चलना चाहिए।
यही नहीं कुछ खाप नेताओं ने तो बीजेपी के नेताओं का हवाला देते हुए कहा है कि अभी ये कानून लौट सकते हैं। ऐसे में हम कैसे उनकी बातों को मान लें। देश खाप के नेता यशपाल थांबा ने कहा कि कुछ बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि इन बिलों को वापस लाया जा सकता है। ऐसे में जब तक संसद से कानून वापस नहीं होते हैं, हम उनका यकीन नहीं कर सकते।
चौबीस खाप के नेता बोले- अब सीमाओं से लौट आएं किसान
हालांकि इन नेताओं से चौबीस खाप के लीडर सुभाष छपरौली की राय अलग है। सुभाष ने कहा कि सरकार ने तीनों नए कानूनों को वापस ले लिया है। इसलिए किसानों को सीमाओं पर आंदोलन खत्म करना चाहिए। मैं भी दूसरे मुद्दों पर सरकार के खिलाफ हूं, लेकिन किसानों को वापल लौटना चाहिए और सरकार से एमएसपी और बिजली बिल जैसे मुद्दे पर बात जारी रखनी चाहिए।