नई दिल्ली। कोविड-19 की महामारी की वजह से देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था के हालात बहुत खराब हैं। दुनिया की पाचवीं सबसे बड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की रिपोर्ट चिंताजनक है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जीडीपी में 40 सालों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, अच्छी खबर ग्रामीण भारत से मिल रही है।
सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों के मुताबिक इस साल कृषि एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां सकारात्मक ग्रोथ की संभावना दिखाई दे रही है। अच्छे मॉनसून की वजह से इस साल कृषि का रकबा भी बढ़ा है। कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर गांव पहुंचे, इसके कारण भी कृषि कार्यों में तेजी आई है। कृषिमंत्रालय के दो दिन पहले जारी आंकड़ों के मुताबिक इस खरीफ सीजन में रिकॉर्ड 1,082.22 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोवाई हो चुकी है।
एनएसओ की ओर से जारी जीडीपी आंकड़े के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अप्रैल-जून के दौरान अर्थव्यवस्था में 23.9 फीसदी की अब तक की सबसे बड़ी तिमाही गिरावट आई है। इस दौरान कृषि को छोड़कर मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और सर्विस सेक्टर का प्रदर्शन खराब रहा है। सबसे अधिक प्रभाव निर्माण उद्योग पर पड़ा है, जो 50 फीसदी से भी अधिक गिरा है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार जीडीपी में इससे पूर्व वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी। ज्ञात हो कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए 25 मार्च से देशभर में ‘लॉकडाउन’ (बंद) लगाया था। इसका असर अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर पड़ा है। विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में 2020-21 की पहली तिमाही में 39.3 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 3 फीसदी की वृद्धि हुई थी।
एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ कृषि क्षेत्र में इस दौरान 3.4 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं, निर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 50.3 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि खनन क्षेत्र के उत्पादन में 23.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगी सेवा क्षेत्र में भी 2020-21 की पहली तिमाही में 7 फीसदी की गिरावट आई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से जुड़ी सेवाओं में आलोच्य तिमाही में 47 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं, वित्तीय संस्थानों, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में 2020-21 की पहली तिमाही में 5.3 फीसदी की गिरावट आई है। इसके अलावा लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में भी आलोच्य तिमाही में 10.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
एनएसओ ने जारी बयान में कहा है कि ‘स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में 26.90 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 2019-20 की पहली तिमाही में 35.35 लाख करोड़ रुपये था। इसका मतलब है कि इसमें 23.9 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि एक साल पहले 2019-20 की पहली तिमाही में इसमें 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी।
उल्लेखनीय है कि अधिकांश रेटिंग एजेंसियों, विशेषज्ञों और रिजर्व बैंक ने पहले ही वित्त वर्ष 2020-21 में देश के जीडीपी में गिरावट का अनुमान जताया था। इस बीच चीन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 3.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है, जबकि इससे पहले जनवरी-मार्च, 2020 तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था में 6.8 फीसदी की गिरावट आई थी।