चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि अध्यादेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है। शहीद भगत सिंह जयंती के अवसर पर उनके पैतृक गांव खटकड़ कलां में कृषि अध्यादेशों के विरोध में दिए गए धरने को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने कृषि अध्यादेशों पर हस्ताक्षर नहीं बल्कि किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर किए हैं।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने कानूनी विशेषज्ञों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। इस मामले में देश के कई वरिष्ठ वकीलों से भी विचार-विमर्श किया जा रहा है। बहुत जल्द सभी कानूनी पहलुओं पर विचार-विमर्श कर केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। अमरिंदर सिंह ने केंद्र पर छोटे किसानों के मुुंह से निवाला छीनने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार शुरू से ही लोगों को गुमराह कर रही है।
अमरिंदर ने कहा कि दो प्रतिशत जनसंख्या होने के बावजूद पंजाब द्वारा 50 प्रतिशत देश को अनाज की आपूर्ति की जाती है। इसके बावजूद अध्यादेशों को तैयार करने से पहले बनाई गई कमेटी में पंजाब को शामिल नहीं किया गया। इस संबंध में फैसला लेने के बाद केवल सूचित किया गया।
पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि यह लड़ाई लंबी चलेगी और पंजाब कांग्रेस किसानों की इस लड़ाई को हर मोर्चे पर लड़ेगी। धरने में विशेष रूप से पहुंचे पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सभी कांग्रेसियों को एकजुटता का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सभी को मिलकर लड़ना होगा। इस अवसर पर पंजाब के सभी मंंत्री, विधायक तथा वरिष्ठ नेताओं ने केंंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि अध्यादेशों के विरोध में दिए गए धरने में भाग लिया।