कृषि मंत्री बोले-किसानों के मन में नहीं होना चाहिए किसी भी तरह का संदेह

– किसानों की समस्या के समाधान के रास्ते में रोड़े अटकाने का काम कर रहा विपक्ष
– 10 संगठनों ने कृषि कानून के समर्थन में सौंपा पत्र


नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन का आज 19वां दिन है। कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर किसान आज भूख हड़ताल भी कर रहे हैं, जबकि अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति से जुड़े दस संगठनों ने कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर से मुलाकात कर कृषि कानून पर अपना समर्थन दिया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने नया कृषि कानून लाकर किसानों के हित में ही काम किया है। इस पर कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार की नीति और नीयत सही है, इसलिए किसानों के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया है कि “अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के सदस्य उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र, हरियाणा और बिहार से आए थे। उन्होंने फार्म बिल का समर्थन किया और हमें उसी पर एक पत्र दिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए ऐसा किया है और वे इसका स्वागत और समर्थन करते हैं।”

उन्होंने बताया कि किसान आंदोलन को समाप्त करने तथा समाधान निकालने की मंशा से सरकार ने सातवें दौर की बातचीत के लिए प्रस्ताव भेजा है। सरकार की इच्छा है कि कृषि कानून की हर धारा पर चर्चा हो और सभी किसान संतुष्ट हों।

वहीं, आंदोलन को जबरदस्ती खींचने का आरोप विपक्ष पर लगाते हुए केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि कुछ लोग किसानों की समस्या के समाधान के रास्ते में रोड़े अटकाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां किसानों को निर्णय तक नहीं पहुंचने देना चाहती। हालांकि उन्होंने विश्वास जताया कि असली किसान नेता जरूर समाधान का रास्ता निकालेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की नीति सही है, नीयत सही है और नेता भी सही है, इसलिए किसानों के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। सरकार, किसान नेताओं के साथ फिर से बातचीत करने को तैयार है और असली किसान नेता जब वार्ता में आगे आएंगे तो वे समाधान के रास्ते निकालेंगे।

कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने किसानों के साथ बैठक कर बातचीत करने तथा समस्या का समाधान निकालने की अपील की। उन्होंने कहा कि ‘मैं किसानों से अपील करता हूं कि वह सरकार के साथ बैठें और कृषि कानून से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकालें। अगर किसान इन कानूनों में कुछ जोड़ चाहते हैं तो यह संभव है लेकिन बिल पूरी तरह से वापस नहीं होगा। साथ बैठने से हल निकल सकता है।’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here