नई दिल्ली। केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार के खिलाफ टैक्स विवाद मामले को जीत लिया है। एक इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन में यह मामला चल रहा था। इसी के साथ देश का सबसे हाई प्रोफाइल विवाद अब समाप्त हो गया है। इससे पहले भारत सरकार के ही खिलाफ वोडाफोन ने भी इसी तरह के टैक्स के मामले में जीत हासिल की थी। वोडाफोन का मामला 20 हजार करोड़ रुपए का था।
मार्च 2015 में मामला दायर किया था
केयर्न ने मार्च 2015 में भारत के टैक्स डिपार्टमेंट के 1.6 अरब डॉलर से अधिक की डिमांड के खिलाफ औपचारिक विवाद दायर किया था। यह टैक्स विवाद 2007 में उस समय इसके भारतीय ऑपरेशन की लिस्टिंग से संबंधित था। केयर्न ने इस फैसले पर हालांकि कोई टिप्पणी नहीं की है। साथ ही भारत सरकार की ओर से भी कोई बयान नहीं आया है।
7500 करोड़ रुपए का था मामला
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को ऊर्जा कंपनी को 7500 करोड़ रुपए से अधिक का पेमेंट देना था। क्योंकि उसने केयर्न को डिविडेंड के शेयरों को देने से इनकार करते हुए राशि जब्त कर ली थी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वेदांता के साथ अपने विलय के बाद केयर्न इंडिया में कंपनी के हिस्से के अवशिष्ट शेयरों (residual shares) को समाप्त कर दिया था।
चुनौती दे सकता है भारत
यह आदेश वोडाफोन ग्रुप द्वारा टैक्स कानूनों में रेट्रोस्पेक्टिव संशोधन पर एक अलग आर्बिट्रेशन जीतने के बाद आया है। भारत को अभी आर्बिट्रेशन अवॉर्ड को चुनौती देना बाकी है। केयर्न एनर्जी के मामले में सरकार इस अवार्ड को भी चुनौती दे सकती है। टैक्स जानकारों का कहना है कि इस बात की संभावना है कि भारत सरकार अगले कदमों पर फैसला करने से पहले अर्बिट्रल अवार्ड की विस्तार से समीक्षा करेगी और शायद अपील में जाना पसंद करेगी।
केयर्न का दावा ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि की शर्तों के तहत लाया गया था। ट्रिब्यूनल की कानूनी सीट या लड़ाई नीदरलैंड में थी और कार्यवाही स्थायी पंचाट अदालत अर्थात परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन की रजिस्ट्री के तहत की गई।
2006 का है मामला
केयर्न एनर्जी ने 2006 में समूह के री-ऑर्गनाइजेशन से संबंधित 10,247 करोड़ रुपए की मांग के खिलाफ 2015 में विवाद दायर किया था। तब इनकम टैक्स विभाग ने कहा था कि केयर्न एनर्जी की पूरी तरह से स्वामित्व वाली सहायक कंपनी केयर्न यूके होल्डिंग्स ने केयर्न इंडिया की सार्वजनिक लिस्टिंग से पहले 24,000 करोड़ रुपए से अधिक का कैपिटल गेन कमाया था।
2011 में केयर्न इंडिया की 9.8% हिस्सेदारी छोड़कर बाकी वेदांता ग्रुप को बेच दिया गया था। बची हुई हिस्सेदारी की बिक्री पर इनकम टैक्स विभाग ने रोक लगा दी थी और केयर्न इंडिया द्वारा केयर्न एनर्जी को लाभांश भुगतान भी फ्रीज कर दिया गया था।
वोडाफोन का 20 हजार करोड़ का मामला
भारत पहले से ही 20,000 करोड़ रुपए से अधिक की रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स डिमांड को लेकर वोडाफोन ग्रुप के खिलाफ आर्बिट्रेशन मामले में हुए नुकसान पर विकल्पों को तलाश रहा है। इन विकल्पों में हेग में परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (पीसीए) द्वारा कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। इसके बाद वोडाफोन के साथ अपने टैक्स विवाद को निपटाने के लिए 2012 के नियमों को संशोधन कर वापस एक नया कानून भी लाया गया है।
2012 में टैक्स लागू किया गया था
भारत सरकार ने 2012 के बजट में रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स लागू किया था जिसके तहत 1962 के बाद किसी भी M&A पर टैक्स देना अनिवार्य कर दिया गया अगर कंपनी की संपत्ति भारत में है तो। ट्राइब्यूनल ने भारत सरकार को यह भी कहा है कि कंपनी का जो फंड सरकार के पास है वह ब्याज सहित कंपनी को वापस किया जाए। भारत सरकार ने केयर्न इंडिया का टैक्स रिफंड रोक रखा है। इसके साथ ही डिविडेंड जब्त कर लिया है और बकाया टैक्स के भुगतान के लिए कुछ शेयर बिक्री भी किए हैं।
अब इस फैसले के बाद सरकार को यह रकम ब्याज सहित स्कॉटलैंड की ऑयल एक्सप्लोरर कंपनी को चुकाना होगा। हालांकि भारत सरकार इस मामले में अपील कर सकती है।