नई दिल्ली। अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट पर धमाके के बाद एक एक ऐसी नई जानकारी सामने आई है, जिसेस भारत की चिंता बढ़ सकती है। काबुल पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान ने बगराम जेल से केरल के रहने वाले 14 लोगों को रिहा कर दिया और ये केरलवासी फिर जाकर आतंकी समहू इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रांत (ISKP) का हिस्सा हो गए। बताया जा रहा है कि बगराम जेल से तालिबान द्वारा रिहा किए जाने के बाद कम से कम 14 केरल के रहने वाले इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रांत की तरफ से काबुल में बड़े विस्फोट को अंजाम देने की साजिश में लगे हुए हैं।
यहां तक कि इनकी ओर से 26 अगस्त को काबुल में तुर्कमेनिस्तान दूतावास के बाहर एक आईईडी डिवाइस को विस्फोट करने की कोशिश भी की गई, जिसे नाकाम कर दिया गया और इसमें दो पाकिस्तानियों के पकड़े जाने की अपुष्ट रिपोर्टें भी हैं।
ऐसा समझा जा रहा है कि 14 केरलवासियों में से एक ने अपने घर से संपर्क किया, जबकि शेष 13 अभी भी काबुल में इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रांत यानी ISKP आतंकवादी समूह के साथ फरार हैं। 2014 में इस्लामिक स्टेट ऑफ सीरिया और लेवंत के मोसुल पर कब्जा करने के बाद मलप्पुरम, कासरगोड और कन्नूर जिलों के रहने वाले केरलवासी मध्य पूर्व में जिहादी समूह यानी इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए भारत से चले गए थे।
इसमें से कुछ आतंकियों के परिवार आईएसकेपी के तहत बसने के लिए अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में आ गए।
यहां भारत की चिंता यह है कि ये आतंकी संगठन भारत को बदनाम करने के लिए इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस बात को लेकर चिंतित है कि तालिबान और उनके हैंडलर्स अफगानिस्तान में आतंकवादी कृत्यों में लिप्त होकर इन कट्टरपंथी केरलवासियों का उपयोग भारत की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए कर सकते हैं। वहीं, दो पाकिस्तानी आतंकियों के पकड़े जाने की काफी विश्वसनीय रिपोर्ट आ रही हैं, जो तुर्कमेनिस्तान दूतावास के बाहर ब्लास्ट करने की फिराक में थे।
तालिबान स्पष्ट कारणों से पूरी घटना के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं, मगर खुफिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि 26 अगस्त को काबुल हवाईअड्डा विस्फोट के तुरंत बाद इन पाकिस्तानी नागरिकों के पास से एक तात्कालिक विस्फोटक उपकरण बरामद किया गया था।
इधर, काबुल की स्थिति और बिगड़ती जा रही है। पाकिस्तान की मदद से हक्कानी नेटवर्क तालिबान पर पिछले कार्यकाल के तत्वों के साथ वैश्विक वैधता प्राप्त करने के उद्देश्य से 12 सदस्यीय परिषद बनाने का दबाव बना रहा है, मगर मुल्ला याकूब गुट अनिच्छुक है। अफगानिस्तान के पड़ोसी देश तालिबान के साथ अपने संबंधों पर किसी भी निर्णय पर विचार करने से पहले 31 अगस्त को अमेरिका के काबुल से बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं।