नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के मरीजों के इलाज को लेकर रविवार को एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर का प्रयोग केवल इमरजेंसी में ही करने की सालह दी है। शनिवार को इस बारे में मंत्रालय ने विस्तार से क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी किया था। इसमें रेमडेसिविर दवा का केवल इंवेस्टिगेशनल थेरेपी यानि जांच के लिए ही इस्तेमाल किया जासकता है। नए नियमों के तहत प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा टोसीलीजुमैब के साथ-साथ प्लाजमा थेरेपी के जरिए कोरोना मरीजों का इलाज करने की बात कही है।
मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि रेमडेसिविर दवा को अभी यूस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) से अनुमति नहीं मिली है। इसलिए भारत में अभी इस दवा का इस्तेमाल सिर्फ बहुत जरूरी होने पर ही देने की हिदायत दी गई है। इस दवा के आयात के लिए जीलिड कंपनी ने सीडीएससीओ से अनुमति मांगी थी। इस पर विचार करने के बाद एक जून को कंपनी को दवा आयात करने की अनुमति दे दी।
इस संबंध में छह अन्य कंपनियों ने इस दवा के उत्पादन और बेचने के लिए अनुमति मांगी है। इन कंपनियों में हेट्रो, सिपला, बीडीआर, जुबिलियंट, माइलान और डॉ. रेड्डी में से पांच कंपनियों ने जीलिड के साथ करार कर लिया है। बता दें कि पहले मंत्रालय ने एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर और प्लाजमा थेरेपी दोनों पर ही रोक लगा दी थी। मंत्रालय ने यह फैसला कोरोनावायरस क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल की समीक्षा रिपोर्ट आने के बाद लिया।