बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने अयोध्या और काशी के बाद मथुरा में मंदिर निर्माण शुरु करने को लेकर दिए गए राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान को आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हार का सबूत बताया है।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य द्वारा विधानसभा आम चुनाव के नजदीक दिया गया बयान कि अयोध्या व काशी में मन्दिर निर्माण जारी है अब मथुरा की तैयारी है, यह भाजपा के हार की आम धारणा को पुख्ता करता है। इनके इस आखिरी हथकंडे से अर्थात् हिन्दू-मुस्लिम राजनीति से भी जनता सावधान रहे।
मायावती ने स्पष्ट किया कि मौर्य के इस बयान को भाजपा के आखिरी हथकंडा समझना चाहिए। उन्होंने इस बयान के हवाले से उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को भी भाजपा की हिंदू मुस्लिम राजनीति से सावधान रहने के लिए आगाह किया। उल्लेखनीय है कि मौर्य ने बुधवार को ट्वीट कर कहा था कि अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है। जय श्रीराम, जय शिव शम्भू, जय श्री राधे कृष्ण।
केशव मौर्य के दो लाइन के ट्वीट ने बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। भाजपा का संगठन या सत्ता से जुड़ा कोई और नेता इस मुद्दे पर सामने नहीं आया है। हालांकि यूपी सरकार में ही कैबिनेट मंत्री स्वामीप्रसाद मौर्य ने अलग सुर अलापा है। उन्होंने कहा- अयोध्या, काशी व मथुरा न कभी चुनाव का मुद्दा था, न आज है और न ही भविष्य में रहेगा।
प्रधानमंत्री हमेशा विकास के मुद्दे की बात करते हैं। कौशांबी में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने मौर्य को आड़े हाथ लेते हुए कहा- जनता उनका असली चेहरा पहचान चुकी है। मौर्य अगर यह सोचते हैं कि वह ध्रुवीकरण कर लेंगे, तो यह सबसे बड़ी भूल है। सपा प्रवक्ता आशुतोष वर्मा कहने से नहीं चूके कि चुनाव में हिन्दुत्व की लाचारी है। कुछ दिन में आचार संहिता लगने वाली है, इससे पहले ही इस तरह का दांव खेला जा रहा है।
मथुरा पर विशेष फोकस
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार का मथुरा पर विशेष फोकस रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यात बरसाने की लठामार होली को राजकीय मेले का दर्जा ही नहीं किया बल्कि जन्माष्टमी के आयोजनों में भी भव्य स्वरूप प्रदान किया। हिन्दु महासभा, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्तिदल, नारायणी सेना समेत कुछ अन्य संगठनों ने छह दिसंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थली के विवादित स्थल तक संकल्प यात्रा निकालने और जलाभिषेक का भी सोशल मीडिया पर आह्वान किया था।
पुराना आंदोलन
श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति के लिए वर्ष 1996 में विश्व हिंदु परिषद ने मथुरा में विष्णु महायज्ञ का आयोजन कर आंदोलन की घोषणा की थी। तत्कालीन केंद्र सरकार ने जन्मभूमि की सुरक्षा के लिए जमीन से आसमान तक कड़ी सुरक्षा की थी। कोई आंदोलनकारी नहीं पहुंच सका। इसके बाद सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया गया।
जन्मभूमि प्रकरण में एक साल में दायर हुए 10 वाद
श्रीकृष्ण जन्मस्थान और ईदगाह प्रकरण को लेकर अदालत में अब तक कुल 10 वाद दायर हो चुके हैं। इनमें 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और ईदगाह ट्रस्ट के मध्य हुए समझौते (डिक्री) को रद करने और 13.37 एकड़ जमीन से ईदगाह का अवैध कब्जा हटाना, जिओ रेडियोलॉजी सिस्टम और जीपीआर सिस्टम से खुदाई कराने की मांग शामिल है। इन्हें लेकर सबसे पहला वाद 25 सितंबर 2020 को मथुरा कोर्ट में दायर किया गया, जिस पर सुनवाई जारी है।
अब कोर्ट पर निगाहें
डिप्टी सीएम के ट्वीट के बाद सियासत भले ही बुधवार को गरमाई हो लेकिन सबकी निगाहें मथुरा जिला कोर्ट में चल रहे दस विभिन्न वादों और उनके आने वाले फैसलों पर ही टिकी हैं।