कोरोना और अमेरिका में हुए 9/11 हमले में कोई संबंध है? यूं तो ये दोनों बातें एक दूसरे से काफी अलग हैं, लेकिन सच यही है कि आज कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार यानी mRNA वैक्सीन की टेक्नीक विकसित करने का फैसला 9/11 के बाद हुए एंथ्रेक्स हमलों की वजह से हुआ।
दरअसल, एंथ्रेक्स हमलों से अमेरिका परेशान हो उठा था कि अगर युद्ध में उसकी सेना पर किसी वायरस से जैविक हमला हो गया तो? बस, इसके बाद ही पेंटागन की डिफेंस एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (DPRA) ने मैसाचुसेट्स की कंपनी मॉडर्ना को RNA बेस्ड वैक्सीन विकसित करने का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया। और आज इसी टेक्नीक पर आधारित mRNA वैक्सीन कोरोना के बाद कैंसर को मारने के लिए तकरीबन तैयार है।
जर्मन बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बायोएनटेक ने जून में घोषणा की है कि mRNA टेक्नीक पर आधारित कैंसर वैक्सीन BNT111 फेज-2 का कैंसर के पहले मरीज पर ट्रायल हो गया है।
कैंसर को कैसे मारेगी mRNA वैक्सीन?
- हम सभी जानते हैं कि बाहरी परत पर बने खास तरह के प्रोटीन स्पाइक्स यानी प्रोटीन से बनी नोक जैसी आकृतियां ही कोरोना वायरस की पहचान हैं। जैसा mRNA यानी messenger RNA नाम से ही जाहिर है यह वैक्सीन हमारी कोशिकाओं को कोरोना वायरस जैसी नोक वाले प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है।
- जैसे ही यह प्रोटीन तैयार होता है हमारी कोशिकाएं इन्हें अलग कर देती हैं और हमारी कोशिकाओं की सतह पर नोकदार प्रोटीन दिखने लगते हैं। हमारा इम्यून सिस्टम इन नोकदार प्रोटीन को देखकर उन्हें पहचान लेता है और उसके खिलाफ एंटीबॉडी बना लेता है।
- मतलब यह कि हमारा शरीर भविष्य में कोरोना का संक्रमण होने पर उसके वायरस को पहचान लेगा और हमारी रक्षा कोशिकाएं उन्हें मार देंगी।
- ठीक इसी तरह कैंसर के मामले में mRNA वैक्सीन से हमारे शरीर का प्रतिरोध कैंसर वाली कोशिकाओं को पहचानकर उन्हें मार देगा।
- कुल मिलाकर हमारा इम्यून सिस्टम कैंसर से ग्रसित कोशिकाओं को पहचानकर उन्हें मारना सीख जाता है।
हाई रिस्क वाले लोगों के लिए प्रीवेंटेटिव कैंसर वैक्सीन बनाना संभव
कैंसर के टाइप के आधार पर उन लोगों के लिए प्रीवेंटेटिव वैक्सीन बनाना संभव है जिनमें कुछ तरह के कैंसर विकसित होने का रिस्क है। जैसे ब्रेस्ट कैंसर। ह्यूस्टन मेथोडिस्ट अस्पताल में कैंसर बायोलॉजिस्ट का एक ग्रुप उन लोगों के लिए प्रीवेंटेटिव कैंसर वैक्सीन बना रहा है, जिन्हें किसी खास तरह के कैंसर होने का खतरा ज्यादा है। उदाहरण के लिए, बीआरसीए 2 म्यूटेशन वाले लोगों में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है।
इस तरह के कैंसर की वैक्सीन आसानी से उपलब्ध हो सकेगी
- मुंह में गले के पिछले हिस्से में होने वाला कैंसर (ऑरोफेरिंजियल कैंसर)
- गर्भाशय का कैंसर (सर्वाइकल कैंसर)
- ब्रेस्ट कैंसर
- लिवर कैंसर
- प्रोस्टेट कैंसर
- कई तरह के ट्यूमर
प्रोटीन बनाने के लिए मानव शरीर की क्षमता का उपयोग
स्पीड के अलावा mRNA तकनीक इतनी प्रभावी इसलिए है क्योंकि यह नए प्रोटीन बनाने के लिए मानव शरीर की विशाल क्षमता का उपयोग करता है। प्रत्येक शारीरिक कार्य के लिए एक प्रोटीन होता है, और आपका शरीर हर दिन उनमें से खरबों बनाता है। यदि आप किसी तरह शरीर को वायरस को हराने के लिए एक विशिष्ट प्रोटीन बनाने के लिए कह सकते हैं, या किसी बीमारी का इलाज कर सकते हैं, तो यह अपने आप ही ऐसा करेगा। लैब में बना mRNA या ‘मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड’ हमारी कोशिकाओं में प्रोटीन फैक्ट्री को निर्देश भेजना संभव बनाता है।
बायोएनटेक ने चार कैंसर स्पेसिफिक एंटीजन का इस्तेमाल किया है
कुछ कैंसर जैसे मेलेनोमा की वजह से शरीर में होने वाले बदलाव का आसानी से पता लगाया जा सकता है। बायोएनटेक ने इसी अप्रोच का इस्तेमाल किया है। इसने चार कैंसर-स्पेसिफिक एंटीजन की पहचान की है। 90% से अधिक मेलेनोमा पीड़ित लोगों में इनमें से कम से कम एक एंटीजन जरूर पाया जाता है।
कई तरह के कैंसर के लिए एक वैक्सीन बनाना मुश्किल
हार्वर्ड दाना कैंसर इंस्टीट्यूट के फिजीशियन और साइंटिस्ट डेविड बारुन का कहना है कि कई तरह के कैंसर से लड़ने के लिए एक वैक्सीन बनाना काफी मुश्किल है। क्योंकि एक तरह के कैंसर के हर रोगी में लक्षण और दिक्कतें अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए इसकी पहचान कर पाना मुश्किल हो जाता है।
कैंसर वाली कोशिकाओं की पहचान ही बेसिक आइडिया: स्पेशलिस्ट
कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी में बायोकेमिकल इंजीनियरिंग स्कूल में असिस्टेंट प्रोफेसर अन्ना ब्लैकने ने कहा कि mRNA वैक्सीन जिस तरह से कोरोना के खिलाफ काम करती है, उसी तरह कैंसर की mRNA वैक्सीन आपके इम्यून सिस्टम को कैंसर सेल्स की सतह पर मौजूद खास प्रोटीन की पहचान करने के लिए तैयार करती है।
यह वैक्सीन इम्यून सिस्टम को कैंसर के लिए जिम्मेदार प्रोटीन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला करने के लिए तैयार करेगी। ह्यूस्टन मेथोडिस्ट हॉस्पिटल के डेबेकी हार्ट एंड वैस्कुलर सेंटर, टेक्सास में RNA थेरेपेटिक्स प्रोग्राम के मेडिकल डायरेक्टर जॉन कुक का कहना है कि इस वैक्सीन का बेसिक आइडिया है कि इम्यून सिस्टम कैंसर की पहचान कर सके।
एक साल में एक करोड़ लोगों की जान ले चुका है कैंसर
कैंसर दुनिया भर में मौत का एक प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2020 में कैंसर की वजह से लगभग 1 करोड़ लोगों की जान चली गई। कुक का कहना है कि कैंसर के बढ़ने और इसकी वजह से रोगी की मौत का सबसे बड़ा कारण है कि यह इम्यून सिस्टम से आसानी से बच जाता है। कैंसर हमारे इम्यून सिस्टम की रडार के नीचे रहता है।
पारंपरिक वैक्सीन से एकदम अलग है mRNA वैक्सीन
दुनिया में पहली बार mRNA वैक्सीन का इस्तेमाल कोरोना के खिलाफ हुआ है। यह वैक्सीन न्यूक्लिक एसिड वैक्सीन की कैटेगरी में आती है। वैक्सीन बनाने में बीमारी पैदा करने वाले वायरस या पैथोजन से जेनेटिक मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है। इससे शरीर के अंदर वायरस के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स एक्टिव हो सके।
पारंपरिक वैक्सीन में इसके लिए बीमारी पैदा करने वाले वायरस को ही मृत या निष्क्रिय करके शरीर में डाला जाता है। दूसरी तरफ न्यूक्लिक एसिड वैक्सीन जैसे DNA या RNA वैक्सीन में पैथोजन का जेनेटिक कोड शरीर में डाला जाता है जो मानव कोशिका को हमले की पहचान करके उसके बचाव के लिए रक्षात्मक प्रोटीन तैयार करने के लिए प्रेरित करता है।