कैसे गरीबों के मसीहा बने CM योगी, मदद कर तोड़े सारे रिकार्ड

लखनऊ। अगर आप गरीब हैं और गंभीर रोगों से पीड़ित हैं तो हिम्मत मत हारिए। योगी सरकार आपके साथ है। जी हां, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से गरीबों व असहायों के लिए की जाने वाली मदद के रिकार्ड तोड़कर यह साबित कर दिया है।

योजना बनने से लेकर अब तक दी जाने वाली मदद में ये पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में विवेकाधीन कोष से मदद की गई है। प्रदेश की जनता को परिवार मानने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संवेदनशीलता का ही परिणाम है कि महज तीन सालों में कैंसर व हृदय रोग जैसे तमाम गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए यह कदम उठाया गया।

देश के 100 से अधिक अस्पतालों के जरिए 58,485 गरीब व असहायों की मदद की गई है। इसके लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से करीब 9 अऱब रुपये की धनराशि खर्च की गई है। सरकार के निर्देशों औऱ शासन के प्रयासों से महज तीन सालों में इतने 58 हजार से अधिक गरीबों व असहायों की मदद करने वाले वे प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं।

योजना के शुरुआत से लेकर अब तक पहले किसी भी सरकार ने इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में गरीबों की मदद नहीं की थी। पिछली सपा सरकार पांच सालों में महज 45 हजार लोगों की मदद तक ही सिमट के रह गई थी। गरीबी के चलते गंभीर बीमारियों का समय पर सही इलाज न मिल पाने के कारण हजारों लोगों की हर साल मौत हो जाती थी।

जबकि मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से वित्तिय सहायता उपलब्ध कराकर लोगों की जान बचाई जा सकती है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शासन के प्रयासों से आवेदन करने वाले पात्र गरीबों के इलाज के लिए आर्थिक मदद देने की व्यवस्था में तेजी लाई।

देखते ही देखते कैंसर जैसे असाध्य रोग, हृदय रोग व किडनी के प्रत्यारोपण संबंधी एवं दुर्घटनाओं सम्बंधित इलाज के लिए गरीब व असहाय की मरीजों की संख्या 58 हजार पहुंच गई। वहीं अब तक इस तरह के गंभीर रोगों के इलाज के लिए 8,91,33,71,542 रुपये प्रदान कर दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री के विशेष सचिव विशाख ने बताया कि मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता का ही परिणाम है कि किसी भी कार्यक्रम में व्यस्त रहने पर भी वे समय निकालते हैं और खुद विवेकाधीन कोष से प्रतिदिन 80 से 100 मरीजों के लिए प्राथमिकता के साथ प्रक्रिया पूरी करते हैं ताकि पीड़ित मरीज का जल्द से जल्द इलाज हो सके।

साथ ही डिजीटल भारत अभियान के चलते प्रक्रिया के आनलाइन हो जाने पर व्यवस्था में तेजी आई है। उन्होंने बताया कि योजना के लाभ के लिए आईजीआरएस पोर्टल पर आए सभी आवेदनों को जल्द से जल्द निपटाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रक्रिया के आनलाइन हो जाने गरीब व असहाय व्यक्ति को बिना भागदौड़ के आवेदन करना आसान हो गया है।

विशेष सचिव मुख्यमंत्री विशाख ने बताया कि गंभीर व असाध्य रोगों के लिए देश भर के 106 सरकारी न निजी अस्पतालों के जरिए योजना का लाभ दिया जा रहा है। अकेले यूपी में करीब 50 अस्पतालों के जरिये योजना से लाभ दिया जा रहा है।

इन अस्पतालों के जरिए पिछले तीन सालों में मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से कैंसर के 23,151 मरीजों, हृदय रोग के करीब सात हजार मरीजों व किडनी के प्रत्यारोपण व अन्य किडनी संबंधी बीमारियों में करीब 9 हजार मरीजों के इलाज के लिए सहायता की गई है। जिससे इलाज के बाद गंभीर रोगों से ग्रसित मरीजों को नया जीवन मिल रहा है।

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