मणिपुर जल रहा है। यह कोई खबर नहीं है। ‘न्यूज’ में कुछ ‘न्यू’ तो होना चाहिए भाई! रोजमर्रा की सामान्य बात खबर नहीं बन सकती।
यह कोई खबर नहीं है कि 17 महीने से जातीय हिंसा की आग में सुलगते मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क गई। नई घटनाओं में 10 और बेगुनाह मारे गए। अब शायद मृतकों की संख्या 200 पार हो चली है। राज्य के अधिकांश इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। कई जगह कर्फ्यू लगा लेकिन स्थिति सामान्य नहीं हुई। फिर भी सरकारी सूत्रों ने स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया है कि अब भी कोई 6,000 मणिपुरी अपने घर छोड़ कर शरणार्थी कैम्प में दूसरी सर्दी बिताने पर मजबूर हैं।
सुरक्षा अधिकारियों ने दो समुदायों के बीच चली आ रही हिंसा को रोकने में लाचारी जताई। मणिपुर में तैनात असम राइफल्स के पूर्व प्रमुख ने कहा कि मणिपुर की पुलिस अब मैतेई पुलिस और कुकी पुलिस में बंट चुकी है। मणिपुर के भीतर ही एक अंतरराष्ट्रीय सीमा जैसा बॉर्डर बना हुआ है जिसमें सुरक्षा बल नहीं जातीय सेनाओं के सिपाही मैतेई या कुकी होने की शिनाख्त करने के बाद प्रवेश करने देते हैं। दोनों तरफ बंकर बने हुए हैं। दूसरे पक्ष के व्यक्ति की बॉर्डर के उस पार जाने पर गोली मार दी जाती है।
मुख्यमंत्री अपने ही राज्य के कुकी बहुल जिलों में प्रवेश भी नहीं कर सकते। कुकी समुदाय के विधायक अपनी विधानसभा के नजदीक भी फटक नहीं सकते। कोई नहीं जानता कि इस राज्य में राज कौन कर रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री हैं भी और नहीं भी हैं। मणिपुर में हिंसा शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी जापान, पापुआ न्यू गिनी, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, मिस्र, फ्रांस, संयुक्त अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, ग्रीस, इंडोनेशिया, कतर, भूटान, इटली, रूस, ऑस्ट्रिया, पोलैंड, यूक्रेन, ब्रूनेई और सिंगापुर की यात्रा कर चुके हैं। आगामी कुछ महीनों में फिर अमेरिका, लाओस, समोआ, रूस, अजरबैजान और ब्राजील की यात्रा करेंगे लेकिन उनके मणिपुर दौरे की कोई सूचना नहीं है।
“देखिए, यह है मणिपुर का मामला। हमें इससे क्या लेना-देना। कोई मुंबई तो है नहीं जहां कार एक्सीडेंट की भी खबर बन जाए। अब ये मैतेई और कुकी वाला क्या झगड़ा है? कोई हिन्दू-मुसलमान वाला मसाला हो, तो बताइए कि उसकी खबर चलाएं। ऊपर से सरकार भी बीजेपी की। अगर विपक्षी सरकार में जंगलराज की खबर होती, तो चल भी जाती। कुछ ऐसी खबर लाइए जिसमें कुछ रस हो, हमारे रीडर्स के लिए दिलचस्पी हो।”
चलिए मैं कोशिश करता हूं कि कुछ सनसनीखेज खबर सुनाऊं आपको! खबर यह है कि मणिपुर में अब कुकी और मैतेई समुदाय के सिपाही एक दूसरे पर सिर्फ बंदूक से हमला नहीं कर रहे हैं। मामला अब ऑटोमैटिक राइफल तक भी सीमित नहीं रहा। कुछ दिन पहले ही मणिपुर में ड्रोन और रॉकेट लॉन्चर से लड़ाई की खबर आई है। यह अफवाह या आरोप नहीं है, खुद मणिपुर पुलिस ने इसकी पुष्टि की है। अब बस टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों की कसर बची है। क्या तब खबर बनेगा मणिपुर?
खबर यह है कि अब मणिपुर की बहुसंख्यक हिन्दू धर्मावलंबी यानी मैतेई समुदाय के लोगों ने ही मुख्यमंत्री बीरेन सिंह में अविश्वास व्यक्त कर दिया है। पहले कुकी समुदाय ने मुख्यमंत्री पर खुल्लम खुल्ला मैतेई समर्थक होने का आरोप लगाकर उनका बायकॉट किया था। इसका फायदा उठाकर बीरेन सिंह मैतेई हृदय सम्राट बने थे। लेकिन फूट डालने की राजनीति का यही अंत होता है कि पहले आप जिनके हितैषी बनते हैं, वही आपका खेल पहचान जाते हैं। अब मुख्यमंत्री को उनकी कुर्सी से मुक्त करने वाली खबर के लिए किस बात का इंतजार है?
खबर यह है कि मणिपुर में कब राष्ट्रपति शासन लग जाता है, कब हट जाता है, इसकी किसी को खबर भी नहीं होती है। इस राज्य का मुख्यमंत्री खुद राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर मांगता है कि कानून और सुरक्षा की कमान उसे सौंप दी जाए। यानी कि जो अधिकार उसे संविधान ने दिया है, वह व्यवहार में उन्हें दे दिया जाए। प्रदेश की सुरक्षा कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी केन्द्र द्वारा नियुक्त सुरक्षा सलाहकार के हाथ में दे दी गई है। सोचिए, अगर विपक्षी दल की सरकार होती, तो क्या खबर बनती? क्या केन्द्रीय गृह मंत्री द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा में गफलत की खबर बन सकती है?
एक अच्छी खबर यह है कि मणिपुर अब बोलने लग रहा है। मणिपुर घाटी के नवनिर्वाचित लोकसभा सांसद बिमोल अकोइज़ाम ने संसद में आधी रात को एक ऐतिहासिक भाषण दिया। प्रधानमंत्री के पूरे भाषण के दौरान विपक्ष ‘मणिपुर-मणिपुर’ की रट लगाते रहता है। यह पॉजिटिव स्टोरी की तरह खबर बनेगी?
एक और खबर बताऊं? यह खबर मणिपुर नहीं, दिल्ली की निष्ठुरता के बारे में है, देश में पसरे सन्नाटे के बारे में है, हमारे दिल में फैले अंधेरे के बारे में है। खबर यह है कि जो जल कर राख हो रहा है, वह मणिपुर नहीं है, वह भारत का सपना है, उस गीत की इबारत है जो बचपन में सुना था- सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा!