प्रो. अशोक कुमार
कोचिंग संस्थान आज के शिक्षा जगत का एक अहम हिस्सा बन गए हैं। ये संस्थान न केवल छात्रों को उनके शैक्षणिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करते हैं, बल्कि उनके व्यक्तित्व विकास में भी योगदान देते हैं। ये संस्थान छात्रों को विभिन्न परीक्षाओं, जैसे कि प्रवेश परीक्षाएं, प्रतिस्पर्धी परीक्षाएं आदि, की तैयारी में मदद करते हैं।लेकिन वर्तमान मे गली-गली कोचिंग संस्थानों का खुलना एक जटिल मुद्दा है। एक ओर जहां यह छात्रों को अधिक विकल्प प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर गुणवत्ता और अत्यधिक प्रतिस्पर्धा की समस्या भी पैदा होती है।
कोचिंग केन्द्रों की चार प्रमुख समस्याएँ हैं:
सुरक्षा,गुणवत्ता ,कोचिंग केन्द्रों में प्रेम संबंधों का विकसित होना और कोचिंग केन्द्रों में छात्रों द्वारा आत्महत्या ! कुछ दिनों पहले दिल्ली के कोचिंग संस्थान की घटना से सीख मिलती है कि जीवन की कीमत किसी भी चीज से अधिक है ! हमें हमेशा अपनी और दूसरों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। सरकार और प्रशासन को लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
कोचिंग संस्थान की सुरक्षा निवारण के विभिन्न उपाय हो सकते हैं :
- भवन निर्माण मानकों का सख्ती से पालन: सभी भवनों, खासकर सार्वजनिक और वाणिज्यिक भवनों का निर्माण मानकों के अनुरूप होना चाहिए।शहर में जल निकासी की व्यवस्था को दुरुस्त किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में जलभराव की समस्या न आए।सभी सार्वजनिक और वाणिज्यिक भवनों में आपातकालीन योजनाएं बनाई जानी चाहिए और नियमित रूप से अभ्यास किया जाना चाहिए।सभी भवनों में सुरक्षा उपकरण जैसे कि फायर एक्सटिंग्विशर, इमरजेंसी एक्जिट आदि उपलब्ध होने चाहिए।
- भवनों का नियमित रूप से निरीक्षण किया जाना चाहिए ताकि किसी भी तरह की खामी को समय रहते दूर किया जा सके।लोगों को आपदाओं के समय सुरक्षित रहने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।ऐसे संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए जो सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करते हैं।स्थानीय प्रशासन को कोचिंग संस्थानों का नियमित निरीक्षण करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सभी सुरक्षा मानकों का पालन कर रहे हैं।इस घटना में दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।सरकार को पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद प्रदान करनी चाहिए।
कोचिंग संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:
सरकार की भूमिका
सरकार को कोचिंग संस्थानों के लिए स्पष्ट और सख्त नियम बनाने चाहिए। इनमें शिक्षकों की योग्यता, पाठ्यक्रम, फीस संरचना, और बुनियादी सुविधाएं शामिल होनी चाहिए।सभी कोचिंग संस्थानों को लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होना चाहिए। सरकार को कोचिंग संस्थानों का नियमित निरीक्षण करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे निर्धारित मानकों का पालन कर रहे हैं। छात्रों और अभिभावकों के लिए शिकायत दर्ज करने का एक सरल और प्रभावी तंत्र होना चाहिए।
कोचिंग संस्थानों की भूमिका
कोचिंग संस्थानों को केवल योग्य और अनुभवी शिक्षकों को ही नियुक्त करना चाहिए।पाठ्यक्रम को हमेशा अद्यतन रखना चाहिए ताकि छात्रों को नवीनतम जानकारी मिल सके।
छात्रों के एक छोटे बैच में पढ़ाना चाहिए ताकि शिक्षक प्रत्येक छात्र पर व्यक्तिगत ध्यान दे सकें। कोचिंग संस्थानों को छात्रों के अभिभावकों के साथ नियमित रूप से संवाद करना चाहिए।नियमित परीक्षा और मूल्यांकन के माध्यम से छात्रों की प्रगति का आकलन करना चाहिए।कोचिंग संस्थानों में अच्छी बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए जैसे कि लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब, और इंटरनेट कनेक्शन।
कोचिंग केन्द्रों में प्रेम संबंधों का विकसित होना कई कारणों से हो सकता है ! आज के समय में युवाओं पर प्रेम संबंध बनाने का बहुत दबाव होता है। सोशल मीडिया और मीडिया में दिखाए जाने वाले रिश्ते भी इस दबाव को बढ़ाते हैं। कोचिंग संस्थानों में छात्र लंबे समय तक एक साथ रहते हैं और एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। ऐसे में भावनात्मक लगाव होना स्वाभाविक है।कई बार अभिभावक अपने बच्चों पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते हैं, जिससे बच्चे अपनी भावनात्मक जरूरतें को पूरा करने के लिए दूसरों की ओर आकर्षित होते हैं।कुछ कोचिंग संस्थान छात्रों के बीच होने वाले ऐसे संबंधों पर ध्यान नहीं देते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
इस समस्या का समाधान आसान नहीं है, लेकिन कुछ उपाय किए जा सकते हैं: अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए और उन्हें सही मार्गदर्शन देना चाहिए। उन्हें अपने बच्चों की भावनाओं को समझने और उनकी मदद करने की कोशिश करनी चाहिए।शिक्षकों को छात्रों के बीच होने वाले ऐसे संबंधों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें समझाने की कोशिश करनी चाहिए कि पढ़ाई उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
कोचिंग संस्थानों को छात्रों के बीच अनुशासन बनाए रखने के लिए कड़े नियम बनाने चाहिए। साथ ही, उन्हें छात्रों को कैरियर और लक्ष्यों के बारे में भी जागरूक करना चाहिए।समाज को भी इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए और युवाओं को सही मूल्य और संस्कार देने चाहिए।कोचिंग संस्थानों में काउंसलर की सुविधा होनी चाहिए ताकि छात्र अपनी समस्याओं को शेयर कर सकें।यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रेम संबंधों को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इन पर नियंत्रण किया जा सकता है।
कोचिंग केन्द्रों में छात्रों द्वारा आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए कई व्यापक उपाय किए जा सकते हैं। यह एक जटिल समस्या है जिसके लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।सरकार, शिक्षाविद, माता-पिता, शिक्षक और समाज के अन्य सदस्यों को मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा।
निवारण के लिए सुझाव:
हर कोचिंग सेंटर में एक योग्य मनोवैज्ञानिक या काउंसलर की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।तनाव प्रबंधन, आत्मविश्वास बढ़ाने और भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करने जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।छात्रों को आत्महत्या के खतरों और इससे निपटने के तरीकों के बारे में जागरूक किया जाए।
यथार्थवादी लक्ष्य:
छात्रों को यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। अस्वस्थ प्रतियोगिता को कम करके एक स्वस्थ और सकारात्मक माहौल बनाया जाए। पढ़ाई के साथ-साथ खेल, संगीत और अन्य गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए ताकि छात्रों का ध्यान सिर्फ पढ़ाई तक ही सीमित न रहे।नियमित रूप से पैरेंट्स-टीचर मीटिंग आयोजित की जाएं ताकि माता-पिता को अपने बच्चों के बारे में जानकारी मिल सके।शिक्षकों को छात्रों के भावनात्मक स्वास्थ्य को समझने और उनकी मदद करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए।छात्रों को सामाजिक सेवा के कार्यों में शामिल करके उन्हें समाज के प्रति जागरूक बनाया जाए।
(लेखक पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय रह चुके हैं)